बलरामपुर। जिले में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो समुदाय आज भी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है। गांव में एक भी शौचालय नही बनाया गया है, लेकिन जिला ओडीएफ घोषित हो चुका है। इसके साथ ही गांव तक सड़क और स्कूल की व्यवस्था नही होने के कारण पढ़ाई और दवाई के लिए ग्रामीणो को काफी ममशक्कत करनी पड़ रही है। केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरकार की योजनाओ का हवाला देते हुए गांव के विकास की बात कह रहीं है, तो वही मामले में जिम्मेदार अधिकारी अब गांव में उचित व्यवस्था मुहैया कराने की बात कह रहे है।
बता दे कि एक ओर जहां जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रो की एक माह के भीतर 6 मौतों ने राजधानी तक की राजनीति गरमा दी थी। जिसके बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है और लगातार पंडो जनजाति पर शासन द्वारा उपेक्षा का आरोप भी लगा रहे है। घटना के बाद से जिला प्रशासन जहाँ एक ओर उन गांव में लगातार कैम्प लगातार जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन वाड्रफनगर विकासखंड के चरचरी गांव के लखारपारा में जहाँ पर करीब 50 से 60 पंडो जनजाति की आबादी निवास करती है, लेकिन ये समुदाय आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है। आलम यह है कि यहाँ तक पहुचने के लिए कोई सड़क नही है और यही कारण है कि ग्रामीणों तक शासन की योजनाएं पहुचने के पहले ही दम तोड़ देती है।
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में कोई भी स्कूल नही है, जिसके कारण बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर भेजना पड़ता है और यही कारण है कि गांव के बच्चे शिक्षा से दूर होते जा रहे है। गांव में एक भी शौचालय नही बन पाया है लेकिन जिला ओडीएफ घोषित हो चुका है और प्रधानमंत्री आवास भी आधे अधूरे पड़े हुए। गांव में जब कोई बीमार होता है तो चारपाई के सहारे करीब 4 किलोमीटर तक पैदल ही ले जाना पड़ता है और यही कारण है कि ग्रामीण इलॉज के बजाय झाड़फूंक का सहारा लेते आ रहे है।
जंगलो के बीच में बसा लखार पारा बरसात में टापू में तब्दील हो जाता है और ग्रामीणों को अपना राशन नदी को पार करके लाना पड़ता है। गांव में एक हैंडपंप तो लगा है लेकिन पानी के लिए ग्रामीणो को काफी मसक्कत करनी पड़ती है और जब हैंडपंप खराब हो जाता है तो ग्रामीणो को नदी और नाले का सहारा लेना पड़ता है।
मामले में जनजातीय विभाग की केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने सरकार की योजनाओ का हवाला देकर गांव में विकास की गंगा बहाने की बात तो कह रही है लेकिन ये विकास कब तक होगा ये जरूर देखने वाली बात रहेगी या फिर विकास महज भाषणों तक ही सीमित रह जाएगा।
पूरे मामले में एसडीएम ने गांव में प्रशानिक टीम भेजकर उचित कार्यवाही की बात कह रहे है, लेकिन सवाल तो यही खड़ा होता है कि क्या जिला प्रशासन ऐसे ही राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रो की अनदेखी करता रहेगा या फिर रामचंद्रपुर विकासखंड जैसी घटना होने के बाद गांव में मेडिकल कैम्प और जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।