आठ महीने में 267 बच्चों की मौत : जिला अस्पताल का मामला

आठ महिने में ही 267 बच्चों की हो गई मौत

अम्बिकापुर 

पिछले आठ महिने में 267 बच्चों की मौत हो जाना किसी भी अस्पताल के लिए शर्मनाक बात होगी। मगर यह आकड़ा संभाग के सबसे बड़े रघुनाथ जिला अस्पताल की कहानी बयां कर रहा है। किसी भी शासकीय अस्पताल में इतनी बड़ी तादाद में बच्चों की मौत हो जाना उस अस्पताल की व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है। अव्यवस्था के लिए माने जाने वाला जिला अस्पताल में आठ माह में ही ढ़ाई सौ से ज्यादा मासूम बच्चों की मौत किन कारणों से हुई इसका जवाब देने वाला कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं है। और तो और गंभीर बच्चों के लिए जिला अस्पताल में स्थापित गहन चिकित्सा केन्द्र से भी इन कुछ महिनों में कई बच्चों की मौत हो चुकी है। परंतु इस गंभीर मामले को लेकर अभी तक अस्पताल प्रबंधन जागरूक नजर नहीं आ रहा है।

आकड़ों की माने तो जनवरी माह में 28, फरवरी में 30, मार्च में 48, अपै्रल में 44, मई में 49, जून में 43, जुलाई में 11, अगस्त में 14, बच्चों की मौत जिला अस्पताल में हो चुकी है। वैसे तो जिला अस्पताल में रोजाना की बात करें तो दो या तीन लोगो की मौत होती ही है। परन्तु बच्चों के मृत्यु दर के आंकडें में लगाम लगा पाने में स्थानीय जिला अस्पताल पीछे रह गया है। यहां मेडिकल काॅलेज खोले जाने की कवायद के साथ – साथ कुछ दिनों पूर्व कायाकल्प योजना के तहत अस्पताल का रंग रोगण तो कराया गया परन्तु अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था में व्यापक सुधार नहींे होने से यहां गंभीर मरीजों को बचा पाना अभी भी मुश्किल है।

जिला अस्पताल में आठ माह में ही इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो जानें के पीछे अस्पताल प्रबंधन का तर्क है कि जरूर बच्चे गंभीर स्थिति मेें होेंगे , इस कारण से उन्हें नहीं बचाया जा सका । अस्पताल में  नवतजात बच्चों की सुरक्षा व अच्छी देखभाल के लिए कुछ माह पूर्व बनाया गया नियोनेटल वार्ड भी बच्चों की जिदंगी बचा पाने में सार्थक नहीं हो पाया है। हालाकि इस गहन चिकित्सा केन्द्र में भी कई बच्चों की मौते हो चुकी है। परन्तु अस्पताल की जिम्मेदार अधिकारी अपने इस कड़वे सच को मानने के लिए तैयार नहीं है। आंकडों के अनुसार आठ माह में 267 बच्चों की मौतों में अस्पताल के बच्चा वार्ड सहित नियोनेटल वार्ड भी शामिल है।