आदिवासी के नाम पर खरीदी जमीन ,अब प्लाट बनाने की तैयारी

दबंग व्यावसायी ने रोका गरीबों के आने जाने का रास्ता

अम्बिकापुर(दीपक सराठे की रिपोर्ट)

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नगर के एक पूंजीपति व्यावसायी द्वारा भाथूपारा तालाब के पास रिंग रोड़ में आदिवासी के नाम पर एक बड़ी जमीन खरीद कर उसे समतलीकरण करवाने और उसे उंचे दाम पर बेचनेे के लिए प्लाट बनवाने सहित एक गरीब परिवार के आने जाने का रास्ता दिवार खिचवाकर बंद कर देने की शिकायत एक गरीब परिवार की बेवा ने जनदर्शन मे की है। उक्त व्यावसायी के इस कृत्य की शिकायत बेवा ने पूर्व में 2013 में की थी । जिस पर प्रशासन ने कार्यवाई करते हुए वहां निर्माण सामग्री को जप्त कर जेसीबी से दिवारो को तोड़वा दिया था । काफी समय तक मामला शांत रहा परन्तु अब फिर उक्त व्यावसायी के सक्रिय होने व आदिवासी के नाम पर खरीदी गई जमीन में मुरूम गिरवाकर सड़क बनवाने को लेकर बेवा ने पुनः जनदर्शन में इसकी शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
जानकारी के अनुसार मणिपुर क्षेत्र के निवासी शिकायत कर्ता गीता देवी ने शिकायत में कहा है कि उसके पति की मृत्यु 2012 में हो चुकी है। उसकी चार संतान है। घर में तीन अपंग रहते है। तथा बूढे़ सास – ससुर है। पति की मौत के बाद कमाई का कोई जरिया नहीं रहने से पूरे परिवार का जीवन अंधकारमय हो गया है। बेवा महिला ने बताया कि मेरे ससुर के नाम पर रिंग रोड़ भाथू तालाब के पास सड़क से एक प्लाट छोड़कर भूमि है। जिसमें चार कमरे का कच्चा मकान भी है। हम सभी सड़क से मेड़ पार कर अपने जमीन पर जाते थे जिसे एक आदिवासी परिवार व मुकेश अग्रवाल नामक व्यावसायी बंद कर रहे है। पीडि़ता ने बताया मुकेंश अग्रवाल नामक व्यावसायी किसी एक आदिवासी से वहां अपने आदिवासी नौकर चाकर के नाम पर जमीन खरीदकर लाखों रूपए का पक्का दिवाल उठा दिया है। उक्त जमीन को कालोनी बनाकर बिक्री करना चाह रहा है। लगभग तीन एकड़ जमीन को प्लाटिंग कर बेचने की तैयारी चल रही है। पीडि़ता बेवा ने शिकायत में यह भी बताया है कि मुकेश अग्रवाल द्वारा दबाव डालकर कम कीमत में उसकी ही जमीन खरीदना चाह रहा है। इस कारण से उसने हमारे परिवार के आने जाने का रास्ता बंद कर दिया है। प्रशासन द्वारा मामले को सही पाते हुए 2013 में निर्माण कार्य रोकने की कार्यवाई की गई थी । परन्तु वर्तमान में वहां फिर से सड़क बनाने का काम प्रारंभ है। पीडि़ता ने अपनी जमीन तक जाने के लिए रास्ता दिलवाने व निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की है।
जमीन किसी की ,काम करा रहा कोई और
नगर सहित आस पास के क्षेत्र में आदिवासियों की जमीन के खरीद फरोख्त का धंधा पूंजीपतियों द्वारा लंबे समय से चल रहा है। घर में काम करने वाले आदिवासी नौकर व मजदूरों के नाम पर जमीन लेकर ये पूंजीपति उसे ज्यादा कीमत पर बेचने का काम कर रहे है। नगर के भाथूपारा तालाब के पास तीन एकड़ जमीन भी किसी गरीब तपके के आदिवासी के नाम पर खरीदी गई थी । यह खुलासा प्रशासनिक कार्यवाइ्र्र में हुआ था । आखिर उक्त जमीन आदिवासी के पास इतने पैसे कहां से आये कि उसने बडे़ पैमाने पर जमीन की खरीदी की । इतना ही नहंी उक्त जमीन पर निर्माण कार्य मुकेश अग्रवाल के द्वारा करवाया जाना सामने आया था । जब जमीन किसी और के नाम पर थी तो उक्त व्यावसायी वहां अपना निर्माण कार्य क्यों करा रहा था । इस बडे मामले या फिर कहें जमीन की हेरा फेरी में चेहरे तो सामने आए परन्तु कार्यवाई के नाम पर प्रशासन ने सिर्फ वहां चल रहा निर्माण कार्य रोका । व्यावसायी के हौसले इस कदर बुलंद है कि उसने पुनः वहां सड़क बनाने का काम प्रारंभ कर दिया है।