माकपा के सांसद ने लगाया मोदी व रमन सरकार पर आरोप
अम्बिकापुर
लोक सभा में त्रिपुरा से माक्र्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के संसदीय दल के मुख्य सचेतक तथा आदिवासी राष्ट्रीय अधिकार मंच के कोषाध्यक्ष जितेन्द्र चौधरी ने आज स्थानीय विश्राम भवन में पत्रकारों से बात चीत करते हुए कहा कि आदिवासियों के विकास के मकसद से छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया था , लेकिन राज्य गठन के 15 सालो बाद आज छत्तीसगढ़ आदिवासियों की हालत अविभाजीत मध्यप्रदेश के समय से भी ज्यादा खराब है। केन्द्र और राज्य दोनो स्तरों पर सविधान प्रदत्त आदिवासी अधिकारो का हनन किया जा रहा है। यहीं कारण है कि प्रदेश में वर्ष 2011 की जनगणना मेे आदिवासियों की जनगणना में 1.25 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
माकपा नेता ने कहा कि आदिवासियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए आदिवासी वनाधिकार कानून बनाया गया था , लेकिन छत्तीसगढ़ मे इसे क्रियान्वित ही नहीं किया गया । प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या 85 लाख से ज्यादा है। 9 लाख आदिवासी परिवारो में वन भूमि पर पट्टो का दावा किया था , लेकिन 6 लाख दावे बिना सिकी सुनवाई और उचित प्रक्रिया का पालन किये , दावे दारोें को निरस्तीकरण की सूचना दिए बिना खारिज कर दिए गए । जिन 3 लाख आदिवासियों को पट्टे देने का दावा भाजपा सरकार कर रही है , उन्हे वन भूमि पर पूरे कब्जे का पट्टा नहीं मिला है। उन्होने आरोप लगाया गया है कि मोदी और रमन सरकार इस कानून को खत्म करने की कोशिश कर रही है, ताकि वन भूमि को कार्पोरेटो के हाथो सौंपने का रास्ता तैयार किया जा सके ।
श्री चौधरी ने कहा कि जल , जंगल जमीन , खनिज व प्राकृतिक संसाधनो कि लूट को सुगम बनाने के ही भूमि अधिग्रहण कानून में संसोधन की कोशिश की रही है। कार्पोरेटो की निगाह अपने मुनाफेें को बढ़ाने के लिए देश की बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा पर लगी हुई है। इस कोशिश मे सविधान में उल्लेखित 5 वीं अनुसूचित के प्रावाधानों, ग्राम सभा की सहमति तथा प्रभावित लोगो के अधिकारो की भी सरासर अनदेखी की जा रही है। माकपा ने ऐसी लूट के खिलाफ संर्घष तेज करने का संकल्प लिया है। तथा छत्तीसगढ़ में कोलावरम बांध , कन्हर बांध, कुन्दी बांध , स्टील प्लांट, परियोजना से प्रभावित लोगो के आंदोनलों के साथ है। इसी संदर्भ मे श्रभ् चौधरी ने बाल्कों का उल्लेख किया , जहां 1000 हजार से ज्यादा नियमित मजदूरो की छटनी की जा रही है। उन्होने कहा कि वेदांता की रूचि अब पावर प्लांट से ज्यादा मुनाफा कमाने मे है और इसलिए बाल्कों को बन्द करने की साजिश कर रही है। वेदंाता का यह कदम भारत सरकार और स्टारलाईट के बीच हुए समझौते का सरासर उल्लघन है।
श्री चौधरी ने कहा मनरेगा कानून को भी निष्प्रभावी करने की कड़ी आलोचना की । उन्होने कहा कि प्रदेश मेे अप्रेल – जून के महीने में इस वर्ष गर्मी में 40 लाख मजदूरो के बीच केवल 1.86 लाख मानव दिवस रोजगार ही पैदा किये है। जबकि पिछलें वर्ष की 600 करोड़ रूपये का मजदूरी भुगतान अभी तक बकाया है। सूखे के साल में मनरेगा के जरिये व्यापक पैमाने पर गरीबो को रोजगार देने की उन्होने मांग की । उन्होने कहा कि मनरेगा कोई योजना नहीं बल्कि कानून है , जिसे लागू करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार बाध्य है, और इसमें किसी भी प्रकार की आना कानी के खिलाफ माकपा आंदोलन संगठित करेगी ।
माकपा नेता ने आदिवासी जातियों के अनुसूचि में रखने मे जारी विसंगतियों की ओर ही पत्रकारों का ध्यान खिचा तथा कहा कि आदिवासियों को उनके अधिकारो से वंचित नहीं किया जाना चाहिए ।
श्री चैधरी ने छत्तीसगढ़ में अकाल के गंभीर स्थिति व आदिवासी किसानोे के बीच फैल रही भूखमरी व आत्महत्या की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की तथा इसके लिए सरकार की जनविरोधी नीतियों को दोषी ठहराया । उन्होने यह भी कहा कि इस वर्ष प्रदेश में 3000 स्कूल बंद किये गए है इससे आदिवासी छात्रों की शिक्षा पर बूरा असर हुआ है। और निजी स्क्ूलों को पैर पसारने का मौका मिला है।
माकपा नेता ने कहा कि यदि आदिवासियों को सही शिक्षा नहीं मिलेगी , उन्हें रोजगार व जमीन से वंचित किया जाएगा । यदि उनके अधिकारो का हनन किया जायेगा तो नक्सलवाद को पैर फैलाने का ही मौका मिलेगा । और छत्तीसगढ़ में यही हो रहा है।