अम्बिकापुर..(सीतापुर/अनिल उपाध्याय).. कोरोना संकटकाल में बढ़ते महामारी के बीच नीजि अस्पताल वालो ने सरकारी अस्पताल के सहयोग से आपदा में भी अवसर तलाश लिया है और प्रतिबंध के बाद भी निजी अस्पताल के संचालक सरकारी किट से कोरोना जाँच कर मोटी कमाई कर रहे हैं। इस दौरान नीजि अस्पताल वाले कोरोना जाँच कराने पर प्रति व्यक्ति पाँच सौ रुपये वसूल रहे है। इस अवैध कमाई में से बतौर कमीशन मोटी रकम सरकारी अस्पताल के उस कर्मचारी को भी जाता है जो चोरी छुपे इन्हें कोरोना किट उपलब्ध कराता है। कोरोना महामारी के इस संकटकाल में अफरातफरी का ये आलम है कि जो व्यक्ति नीजि अस्पतालों में जाँच के दौरान पॉजिटिव पाया जा रहा है उसका नाम गुप्त रखा जा रहा है और इलाज के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूली जा रही है। निजी अस्पतालों की इस मनमानी की वजह से कोरोना प्रभावित व्यक्ति बिना होम कोरेंटाईन हुये खुलेआम घूम घूम कर कोरोना फैला रहा है। आपदा में अवसर तलाशने वाले नीजि अस्पतालों एवं कोरोना प्रभावितों के इस हरकत से क्षेत्र में दिनोदिन संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। सरकारी एवं नीजि अस्पताल के बेमेल गठजोड़ से चल रहे अवैध कोरोना जाँच पर रोकथाम की कार्रवाई नही की गई तो मामला काफी घातक साबित होगा।
विदित हो कि कोरोना संकटकाल मे पूरा क्षेत्र कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से ग्रसित होने लगा है। लोग इसके संक्रमण से बचने हर रास्ता अख्तियार कर रहे है इसके बावजूद भी वो इसकी गिरफ्त में आने से अपने आप को बचा नही पा रहे है। हालात ऐसे हो गए है कि कोरोना की रफ्तार कम होने के बजाए दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है जिसका लाभ अब नगर के नीजि अस्पताल वाले उठाने लगे है। आलम ये है कि नीजि अस्पताल के संचालक मौके का फायदा उठाते हुए सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों से साँठगाँठ कर इस आपदा को भी अपनी कमाई का जरिया बनाने से परहेज नहीं किया। उन्होंने अपनी पकड़ और पहुँच का फायदा उठाते हुए सरकारी अस्पताल वालो के सौजन्य से अपने नीजि अस्पताल में सरकारी किट से कोरोना की जाँच कर प्रति व्यक्ति 5 सौ रुपए वसूलने लगे। इस जाँच के बदले होने वाली कमाई का हिस्सा उस सरकारी व्यक्ति को भी जाने लगा जो गैरकानूनी रूप से इन्हें सरकारी किट उपलब्ध कराता है। नीजि अस्पतालों की हद तो तब हो गई जब जाँच में कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के बाद भी मरीज।का नाम गुप्त रखा जाता है और इलाज के नाम पर कोरोना का भय दिखाकर उससे मोटी रकम वसूली जाती है। कोरोना जैसी आपदा को अवसर बनाकर मोटी कमाई करने वाले इन नीजि अस्पतालों की इस करतूत से कोरोना प्रभावित व्यक्ति होम कोरेंटाईन होने के बजाए शहर में घूम घूमकर कोरोना फैलाने लगते है। इनकी यह लापरवाही परिवार समेत संपर्क में आने वालो के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।सरकारी सहयोग से नीजि अस्पताल में चल रहे अवैध कोरोना जाँच पर समय रहते रोकथाम नही लगाया गया तो भविष्य में यह मामला काफी घातक सिद्ध होगा और लोगो के लिए जानलेवा साबित हो जायेगा।
“इस संबंध में बीएमओ डॉ अमोष किंडो ने बताया कि अगर कोई बिना अनुमति चोरी छुपे अपने अस्पताल में कोरोना टेस्ट करता है तो वो अपराध की श्रेणी में आता है। अगर कोई व्यक्ति लिखित रूप से पुख्ता प्रमाण के साथ शिकायत करता है तो निश्चित ही अवैध रूप से कोरोना टेस्ट करने वाले अस्पतालों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई होगी।”