अम्बिकापुर। सरगुजा जिले मे खनिज विभाग की अनदेखी और कोयला तस्करो की मनमानी सर चढ कर बोल रही है। जिसका नतीजा है कि जिले मे कोयला तस्कर चोरी के कोयले से अवैध ईट भट्टो की चिमनी सुलगाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला जिले के सुकरी तिलंगापारा का है। जहां पर एक दबंग व्यक्ति द्वारा खनिज नियमो की अनदेखी कर बेरोक टोक अवैध ईट भट्ठा संचालित किया जा रहा है… हद तो तब हो गई जब जिले के खनिज अधिकारी उसका नाम जानने के बाद भी ये नहीं जानते है कि पिछले पांच वर्षो से दबंग कोयला तस्कर द्वारा अवैध ईट भट्ठे का संचालन किया जा रहा है।
सरगुजा जिले के पिलखा पहाड के पीछे बसे सुखरी गांव के तिलंगापारा मे पिछले कई वर्षो से टीन की चिमनी से बना ईट भट्ठा संचालित किया जा रहा है। वैसे तो ये ईट भट्ठा और यहां उपयोग किए जाने वाला कोयला दोनो अवैध है.. लेकिन उसके बावजूद इसका संचालन किसी वैध ईट भट्ठे की तरह किया जा रहा है। अवैध ढंग से संचालिक इस ईट भट्ठे की जानकारी इलाके के तमाम लोगो के साथ खनिज विभाग के अधिकारियो तक को है.. लेकिन उसके बावजूद इससे ईट भट्ठे का संचालन बेरोक टोक हो रहा है। यहां काम करने वाले मुंशी संजय भी ये जानते हैं कि उनके मालिक अवैध ईट भट्ठे मे उनसे नौकरी करवा रहे हैं। तभी तो वो खुद बता रहे हैं कि अभी भट्ठे के परमीशन अंडर प्रोसेस है।
अपने मालिक के करतूतो को छुपाते छुपाते कर्मचारी संजय ने ये बता दिया कि भट्ठा अवैध है क्योकि इसकी कोई परमीशन इनके पास नहीं है.. और तो और आपने एक कहावत सुनी होगी कि करेला ऊपर से नीम चढा… इस अवैध ईट भट्टे मे ये कहावत भी चरितार्थ हो रही है.. क्योकि अवैध ईट भट्टे मे पास की नदी किनारे खोदे जा रहे है चोरी के कोयले का इस्तेमाल होता है.. और भट्ठे मे रखे इस चोरी के कोयले पर किसी कि नजर ना पडे इसके लिए कोयला औऱ ईट माफिया निर्मल साहू द्वारा भट्ठे के अंदर एक चौकोर गड्ढा खोदवाया गया है.. जिसमे नीचे कोयले को रखकर उसके ऊपर पालीथीन और फिर मिट्टी से ढक दिया जाता है… लेकिन ये सब जानकारी सार्वजनिक होने के बाद भी जिले के सहायक खनिज अधिकारी इस अवैध कारोबार से अनभिज्ञ नजर आ रहे हैं.. और मामले मे जांच कार्यवाही की बात कह कर अपना पलडा झाड रहे हैं।
सरगुजा जिले मे इस ईंट भट्ठे के अलावा कई और ईंट भट्ठे हैं। जिनके पास भट्ठो के संचालन के वैध दस्तावेज नहीं है.. लेकिन खनिज विभाग के रहमोकरम से ऐसे और इस जैसे तमाम चिमनी औऱ गमला ईट भट्ठे संचालित हैं। जो अवैध होने के साथ साथ चोरी के कोयले से सुलग रहे हैं.. लेकिन शायद उसके सुलगने की महक अधिकारियो के नाक तक नहीं पहुंच रही है.. क्योकि सुना है कि कोयला औऱ खनिज माफिया नाक बंद रखने की रकम अदा करते हैं।