CHIRMIRI
REPORT :- RAVI KU. SAWARE
शहर में नशीली दवाईयों का कारोबार लंबे समय सें फलफूल रहा था।, चिरमिरी पुलिस नें एक बडी सफलता हासिल करते हुए क्षेत्र मे काफी समय से चल रहे गोरखधंधे पर नकेल कसते हुए बडी मात्रा में नशीली दवाईयों सहीत आरोपी लाल जी मिश्रा पिता स्व0 छोटेलाल निवासी हल्दीबाडी सडक दफाई को उसके किराये के मकान से गिरफतार करते हुए स्पाइजो टेबलेट 8000 नग सहीत काफरेक्स सिरप शिल्पा एस कफ सिरफ व इल्कोरिक्स की 133 नग बोतलें जब्त कर आरोपि लाल जी मिश्री पिता स्व0 छोटेलाल को धारा 17,18,27 ड्रक्स एण्ड कास्मेटिक एक्ट के तहत कार्यवाई करते हुए जेल भेजकर एक बडी सफलता हासील की है। जिसकी किमत लगभग 45 से 50 हजार आंकि गई है। वहीं आरोपि के द्वारा क्षेत्र सहीत जिले के कुछ नामों को उजागर किया है। जो इस धंधे में अपनी छत्र छाया बनाये हुए है। नशा माफियाओं द्वारा समूचें चिरमिरी शहर में नशीली दवाई बेचने शराब कोचियो के तर्ज पर कोचियां बना रहे है जहां सें इन नशीली दवाईयों की बे रोकटोक बिक्री की जा रही है। स्थानीय पुलिस नें इस मामले में कार्यवाही कर अपने आप को सही साबित करनें की कोशिस की है।
उल्लेखनीय है कि, शराब और गांजा के तर्ज पर शहर में साधारण सर्दी, जुकाम और खाँसी मिटानें वाले काॅरेक्स सिरप बोनफिक्स का इस्तेमाल बड़े पैमानें पर नशे के रूप में हो रहा है। यह सिरप सर्दी, जुकमा और खांसी सें राहत पाने के लिय इस्तेमाल किया जाता है। छोटे छोटे बच्चो द्वारा इसका इस्तेमाल नशे के रूप में हो रहा है। सिरफ के इस्तेमाल सें इन्द्रिया शीथिल पड़ जाती है जिसका एहसास मदिरा या गांजा सेवन करने जैसा होता है जों करीब 5-6 घंटे तक बनी रहती है। चिंता की बात है कि, इसप्रकार के नशे का सेवन नाबालिक बच्चों समेत युवाओं द्वारा अधिक किया जाता है।
हाॅल में स्थानीय चिरमिरी के पोंड़ी थानें द्वारा नशें के एक नयें कारोबार को पकड़ा जिसमें ब्राउन शुगर चोरी चुपकें लंबे समय सें बेचा जा रहा था। ठीक इसी प्रकार इस अजीब ढंग के नशे को लेकर शहर में नशा माफिया सक्रिय हो गए हैं, जों जिला मुख्यालय बैकुण्ठपुर सें पेटी-पेटी सिरफ की शीशी खरीदकर बड़े पैमानें पर जगह-जगह कोचियों के माध्यम सें खपाते हैं। 100-150 रू. तक बिकने वाले यह काॅरेक्स की शीशी व टेब्लेट शहर के वार्डो में आसानी सें उपलब्ध हो जाती है।
गैरकानूनी रूप सें बिक रहें काॅरेक्स सिरफ व बोनफिक्स डाईक्लोबीन की दवाईयां इस श्रमिक बाहुल्य क्षेत्र के युवाओं को नशें के गर्त में धकेल रही है। बेहद कम उम्र में नशें के इस अजीब तौर तरिकें सें रूबरू करानें वाले नशा माफियाओं का अवैध संबंध यहां के बडे-बडे व्यवसायीयो की तरफ ईशारा करती है जिनके जेब मासुम जिदंगियों को कुचल कर भरते है। यही वजह है कि, अगर इस अवैध कारोबार की सूचना स्थानीय पुलिस महकमा तक पहुंचती है तो माफिया को पुलिसियां मुखबिर सें इसकी सूचना पहलें ही मिल जाती है। ऐसें हालात में जिले के अधिकारीगण भी इस मामलें में पिछा छुड़ाते है और स्थानीय आलाधिकारियों सें इसकी शिकायत करना कहते है। जब कोतवाल ही चोरों को संरक्षण देने लगे तों गांव की सूरक्षा किसके जिम्मे सौंपें यही आलम स्थानीय आमलोगों का हो चला है।