सूरजपुर
सूरजपुर के पुलिस विभाग के नियम कानून का शिकार इस बार पुलिस लाईन में पदस्थ एक आरक्षक हो गया है। और इसी वजह से आरक्षक ने पुलिस लाईन मे पदस्थ आर. आई. के विरुद्ध मानषिक रुप से प्रताङित करने की शिकायत पुलिस अधीक्षक कार्यालय मे किया है ।
एक वर्ष पूर्व मुल्जिमो को पेशी ले जाने के दौरान पुलिस वैन दुर्घटना ग्रस्त हो गई थी । जिसमे पांच आरक्षक घायल हो गए थे । जिन्हे तत्कालिन इलाज के लिए विभाग द्वारा सहायता राशी दिया गया था । लेकिन अब एक वर्ष के बाद इन आरक्षको से पुलिस लाईन मे पदस्थ आर आई के द्वारा सहायता राशी वापसी कि मांग को लेकर प्रताङित किया जा रहा है । जिससे तंग आकर आरक्षक विमल तिर्की द्वारा पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कोतवाली थाने मे मामले कि शिकायत कि गई है लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही हो पाई ।
दिन रात लोगो कि सुरक्षा मे तैनात आरक्षक किसी भी जगह और किसी भी हालात मे अपने कर्तव्यो को निभाते है । जिन्हे मानषिक और शारीरिक रुप से मजबूत होना पङता है । एक आरक्षक को ड्यूटी के दौरान दुर्घटना होने के बाद केवल पांच हजार रु इलाज के लिए दिया जाता है । तो दूसरी ओर पीङित आरक्षक अपने इलाज मे लगभग डेढ लाख रुपए गवां चुका है । हद तो तब होती है जब उस तत्कालिक सहायता राशि कि वापसी के लिए पुलिस लाईन मे पदस्थ आर.आई के द्वारा आरक्षको को प्रताङित किया जाता है । लेकिन उच्च अधिकारीयो के दबाव और पुलिसिया अनुशासन के कारण कोई भी पीङित आरक्षक सामने नही आना चाहता । लेकिन पूरे मामले मे जिले के एडीशनल एस पी. मनीषा ठाकुर से बात कि गई तो उन्होने मामले मे अनभिज्ञता जताई । और जानकारी जानकारी लेने के बाद कोई भी कार्यवाही करने कि बात की है।
पुलिस विभाग मे रोजाना कई कार्यवाही होती है लेकीन वो कार्यवाही कर्तव्य मे लापरवाही के कारण केवल आरक्षको पर ही होती है । जिन्हे कभी थाना चौकीयो से हटाकर पुलिस लाइन मे अटैच कर दिया जाता है या फिर सजा के तौर पर जिले के किसी दुरस्थ थाना चौकीयो मे भेज दिया जाता है । लेकीन जब एक आरक्षक को मानसीक रुप से किसी अधिकारी द्वारा प्रताङित किया जाता है तो उस आरक्षक कि शिकायत कि जांच किस स्तर पर होगी और कब पूरी होगी यह देखने वाली बात है ।