अम्बिकापुर- सरगुजा संभाग में इन दिनों राजनीतिक संरक्षण में भ्रष्टाचार इस कदर बढ़ गया है कि अधिकारी जांच रिपोर्ट आने के बाद भी आरोपी के विरुद्ध कार्यवाही करने के बजाय उसे बचाने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं जिसमें सत्तारूढ़ दल के मंत्री और नेताओं का अधिकारियों को संरक्षण है।
ताजा मामला अंबिकापुर से लगे जिला बलरामपुर के राजपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत आरा का है जहां एक महिला स्वयं सहायता समूह जिसका पूरा नाम सहेली महिला स्वयं सहायता समूह है उक्त स्वयं सहायता समूह के द्वारा ग्राम पंचायत आरा के सर्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण का भी कार्य किया जाता है सहेली महिला स्वयं सहायता समूह ग्राम पंचायत आरा के संचालन करता एवं सहायक विक्रेता मोहम्मद इकबाल के द्वारा पिछले कई वर्षों से राशन कार्ड के हेराफेरी करते हुए मृत हितग्राहियों की खाद्यान्न उठाव कर गबन करते हुए शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा था लेकिन इसी बीच गांव के कुछ जागरूक ग्रामीणों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने तत्काल इसकी शिकायत राजपुर के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) से की गई, लेकिन अनुभाग अधिकारी राजपुर के द्वारा इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया। जिसके बाद ग्रामीणों ने इसकी शिकायत बलरामपुर के कलेक्टर से की, कलेक्टर बलरामपुर के द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल इसकी जांच के आदेश दे दिए गए । कलेक्टर बलरामपुर के आदेश पर 3 सदस्य जांच दल का गठन किया गया जिसमें नायाब तहसीलदार राजपुर ,मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत राजपुर, व खाद्य अधिकारी बलरामपुर थे, जांच दल के द्वारा मामले की गहनता से छानबीन करते हुए वह ग्रामीणों से पूछताछ कर मामले की जांच रिपोर्ट अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) राजपुर को 28 सितंबर 2020 को सौंपा..।
जांच प्रतिवेदन में जांच अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि “तथ्यों से स्पष्ट है कि गुलशन आरा पति फिरदौस अहमद ,नगमा खातून पति सरोज अंसारी ,रुकसाना खातून पति अब्दुल वहीद, खुर्शीदा खातून पति इकबाल व साबिदा खातून पति इसफाक अहमद का कृत्य छत्तीसगढ़ सर्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2016 की कन्डिका 4(4) (ख) (ग), 4(11) एवं 16(8) (1) का एवं सहेली स्वयं सहायता समूह ग्राम पंचायत आरा के विक्रेता मोहम्मद इकबाल का कृत्य छत्तीसगढ़ सर्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2016 की कंडिका 5(24) एवं 11(5)का स्पष्ट उल्लंघन है जो आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत दंडनीय है”
नहीं हुआ अब तक FIR
जांच अधिकारियों के द्वारा 28 सितंबर 2020 को जांच रिपोर्ट सौंपने के बाद आज दिनांक तक अनुभवी अधिकारी राजस्व राजपुर के द्वारा इस मामले में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट थाने दर्ज नहीं कराया जाना इस बात की ओर संकेत करता है कि अधिकारी राजनीतिक संरक्षण में नियम कानून को भी ताक में रखकर आरोपी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं सूत्रों की माने तो आरोपी खुद को बचाने के लिए ऊपर से लेकर नीचे तक लाखों रुपए अब तक खर्च कर चुका है जिसके कारण उसकी फाइल रुकी हुई है..।
दोषी नही बक्शे जाएंगे!..
वही अब कलेक्टर बलरामपुर श्याम धावड़े ने इस मामले में क्या कार्यवाही हुई ..उसकी अपडेट लेने के बात कहते हुए. आश्वस्त किया है.की दोषी बक्शे नही जाएंगे..