रायपुर। गरियाबंद जिले के देवभोग तहसील में पदस्थ लिपिक शुभम पात्र ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर लिया। कथित रूप से नायब तहसीलदार (प्रभारी तहसीलदार) बाबू लाल कुर्रे की प्रताड़ना से त्रस्त होकर उसने ऐसा कदम उठाया है।
प्रदेश में बेलगाम अफसरशाही एवं प्रशासनिक आतंकवाद चरम पर है। जिसकी कीमत छोटे कर्मचारी को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है।
देवभोग तहसील में कार्यरत लिपिक शुभम पात्र ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि
“उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। तहसील कार्यालय देवभोग में रहते हुये ड्यूटी और अपने परिवारिक दायित्वों का निर्वहन साथ साथ नहीं कर पा रहे हैं। जिससे मानसिक के साथ आर्थिक परेशानी भी हो रही है। ऑफिस में कार्य अधिकता से माताजी की देखभाल नहीं कर या रहे हैं। लिखित सूचना देने पश्चात भी समझा नहीं जा रहा। अवकाश अवधि शेष होने के बाद भी तहसीलदार द्वारा अवैतनिक किया जाता है। स्वास्थ्य खराब होने पर अनुपस्थित होने से कार्यवाही हेतु उच्च अधिकारी को पत्र प्रेषित कर उत्पीड़न किया जा रहा है। जिस वजह से आज मानसिक परेशानी के चलते मजबूरी में ऐसा कदम उठा रहा है।”
लिपिक नेता रमेश तिवारी ने कहा कि लिपिक के खाते में अवकाश शेष होने के बावजूद बीमार मां को देखने जाने के लिये प्रभारी तहसीलदार द्वारा अवकाश नहीं देना, एवं अवैतनिक करके मानसिक आर्थिक रूप से प्रताड़ित करना, प्रशासनिक तानाशाही एवं असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। सुसाइड नोट के आधार पर प्रभारी तहसीलदार बाबूलाल कुर्रे के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज किया जाना चाहिये।
इस घटना के लिये प्रथम दृष्टया जिम्मेदार नायब तहसीलदार बाबूलाल कुर्रे को तत्काल निलंबित करते हुए गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
यदि निष्पक्ष कार्यवाही नहीं की गयी, या मामले को दबाने का प्रयास किया गया, तो न्याय के लिये लिपिक संघ प्रदेश स्तर पर उग्र आंदोलन करेगा।