अम्बिकापुर…प्रदेश में राज्य सरकार की खनिज नीति इन दिनों सुर्खियों में है..और वजह केवल बस इतनी है .की राज्य की भूपेश सरकार ने प्रदेश के नदी और नालों से रेत उत्खनन करने टेंडर प्रक्रिया से लीज जारी कर दी है..मगर दिलचस्प यह है कि..नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 10 जून से 15 अक्टूबर तक रेत के उत्खनन पर रोक लगा दी है..अब ऐसे सरकार के सरकारी रेत लीजधारी उत्खननकर्ता अब अधिक दामों पर रेत का विक्रय कर रहे है..जो आम लोगो की पहुच से दूर है..वही सूबे के पंचायत का कहना है..की कई जिलों में डंपिंग यार्ड नही बन पाए इसी का नतीजा है..की रेत आमलोगों की पहुच से दूर हो गया है..और पंचायत मंत्री का यह बयान एक हिसाब से बेतुका ही साबित हो रहा है.वह इसलिए क्योंकि प्रदेश सरकार ने नयी खनिज नीति को जारी करने से पहले यह दावा किया था.. की प्रदेशवासियों को सस्ते दरो पर रेत उपलब्ध होंगे..पर अब उपलब्ध ही नही हो रहे.
दरअसल प्रदेश सरकार की नई खनिज नीति से पहले लोगो पंचायतों के माध्यम से रेत उपलब्ध हो जाया करती थी..मगर नई खनिज नीति के लागू होने के बाद रेत आमलोगों के पहुँच से दूर होती जा रही है..पहले एक ट्रैक्टर ट्राली रेत का मूल्य एक हजार से बारह सौ रुपये हुआ करता था..मगर अब पांच हजार के पार है..और वजह केवल एक ही है..की पंचायतों को रेत उत्खनन कर बिक्री करने का अधिकार नही है..जिसके चलते सम्भाग के हजारों ट्रैक्टर मालिक जिन का परिवार केवल रेत ढुलाई पर ही निर्भर था..अब वे सड़क पर आ गए है..रेत की बिक्री भी नही हो रही..और उनका जीविकोपार्जन भी नही हो पा रहा है..
बता दे कि भूपेश सरकार ने नई खनिज नीति करने की कार्ययोजना जब बनाई थी..तब सरकार की ओर से प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने आमलोगों को सस्ते दरों पर रेत उपलब्ध कराने का दावा किया था..इसके साथ यह भी आश्वासन दिया था कि..प्रदेश की रेत पड़ोसी राज्यो में एक पैमाने पर ही निर्यात की जाएगी ..पर नई खनिज को लागू हुए एक साल ही पूरे हुए है..की रेत को लेकर प्रदेश में अफरा तफरी मच गई है..और प्रशासन तो मानो नतमस्तक है..
ऐसा इसलिए क्योंकि टेंडर प्रक्रिया के जरिये बड़े-बड़े बिल्डरों को रेत उत्खनन का लीज मिला है..और वे राज्य से रेत का उत्खनन कर पड़ोसी राज्यो में बेंच रहे है..एनजीटी के प्रतिबन्ध के पहले ही राज्य सरकार ने सभी लीज धारियों को डंपिंग यार्ड की अनुमति भी दी है..अब वे भला सस्ते में प्रदेशवासियों को रेत क्यो दे?..
पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव रेत के बढ़ते दामों पर यह दावे करते नही थकते की..सरकार ने कुछ जगहों पर डंपिंग यार्ड की अनुमति नही दी..जिसके चलते यह समस्या बनी हुई है..मगर ऐसा नही है..डंपिंग यार्ड की अनुमति सभी लीजधारियो को बरसात से पहले ही मिल गई है..कुछने तो बगैर अनुमति रेत का भंडारण भी कर लिया …लेकिन प्रशासन ने हाईप्रोफाइल कनेक्शन का नाम देकर कारवाही ही नही की..
बहरहाल अब जब एनजीटी ने रेत के उत्खनन पर रोक लगाई तो..पंचायत को भी शासकीय निर्माण कार्यो के लिए अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया..और राजस्व,खनिज के साथ -साथ पुलिस अमला भी नदी नालों की खाक छान रहा है..पंचायत पर भी कार्यवाही हो रही है..अब ऐसे में भला सस्ते दर पर रेत उपलब्ध करा पाना एक ढकोसला ही साबित हो रहा है..बल्कि नई खनिज नीति का लाभ तो रेत के ठेकेदार ही ले रहे है..