ग्वालियर राज्य की यह पुरातन राजधानी आज भी अपने प्राचीन वैभव की कहानी कह रही है। ग्वालियर शहर सदियों तक अनेक राजवंशों का आश्रय स्थल रहा और प्रत्येक के राज्यकाल में इनमें नए आयाम जुड़े। यहां के योद्धाओं, राजाओं, कवियों, संगीतकारों और साधु-संतों ने अपने योगदान से इस नगर को अधिकाधिक समृद्धि और सम्पन्नताʔ प्रदान की और यह नगर सारे देश में विख्यात हुआ। विशाल ग्वालियर दुर्ग का निर्माण सन् 525 ई. में राजा सूरजपाल ने कराया था। मध्यकाल के इतिहास में इस दुर्ग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
ग्वालियर दुर्ग बलुए पत्थर की सीधी चट्टानों पर खड़ा हुआ समूचे शहर की दृष्टि से ऊंचे आसन पर विराजमान है। गूजरी महल, राजा मानसिंह तोमर ने गुजर रानी मृगनयनी के प्रेम में बनवाया। मान मंदिर, सूरजकुंड, तेली का मंदिर, सास-बहू का मंदिर, जयविलास महल, रानी लक्ष्मीबाई की अश्वारोही मूर्ति, संग्रहालय, तानसेन की समाधी, गौस मोहम्मद का मकबरा, कला वीथिका, नगर पालिका संग्रहालय, चिड़ियाघर, गुरूद्वारा, सूर्य मंदिर आदि दर्शनीय हैं। प्रति वर्ष यहां मेला लगता है।
वायु सेवा:- ग्वालियर के लिए दिल्ली, भोपाल, इंदौर और मुंबई से नियमित विमान सेवा है।
रेल सेवा:-ग्वालियर मध्य रेलवे की दिल्ली-मुबई और मुंबई-मद्रास मेन लाईन पर स्थित है।
सड़क मार्ग:- ग्वालियर के लिए आगरा, मथुरा, जयपुर, लखनऊ, भोपाल, चंदेरी, इंदौर, झांसी, खजुराहो, रीवा, उज्जैन और शिवपुरी से नियमित बस सेवा हैं।
ठहरने के लिए:- मध्यप्रदेश पर्यटन निगम के होटल, गैर सरकारी होटल तथा लॉज उपलबध हैं।