नोएडा. प्रसिद्ध उर्दू शायर आनंद मोहन जुत्शी उर्फ गुलजार देहलवी का 93 साल की उम्र में 12 जून 2020 को निधन हो गया. उनका निधन नोएडा स्थित उनके आवास पर हुआ. बता दें कि उन्होंने पांच दिन पहले ही कोरोना को हराया था.
गुलजार साहब को 07 जून 2020 को उनकी कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट दोबारा निगेटिव आई. उन्हें इसके बाद हम घर वापस लाए. उनको कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद 01 जून को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने कहा कि 12 जून 2020 को लगभग दोपहर ढाई बजे हमने खाना खाया और उसके बाद उनका निधन हो गया. वे काफी बूढ़े थे और संक्रमण के कारण काफी कमजोर भी हो गए थे. डॉक्टरों का मानना है कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा होगा.
उन्हें उर्दू शायरी और साहित्य में योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया. पद्म श्री या पद्मश्री, भारत सरकार द्वारा आम तौर पर सिर्फ भारतीय नागरिकों को दिया जाने वाला सम्मान है जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि, कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा और सार्वजनिक जीवन आदि में उनके विशिष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने हेतु दिया जाता है. भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में यह चौथा पुरस्कार है. उन्हें साल 2009 में ‘मीर तकी मीर’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
गुलजार देहलवी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आजादी के आंदोलन के दौरान कई जलसों में अपनी शायरी से जोश भरा. जवाहरलाल नेहरू भी उनकी शायरी के मुरीद हुआ करते थे.
मेरे दर्द को भी आह का हक़ हैं,
जैसे तेरे हुस्न को निगाह का हक़ है
मुझे भी एक दिल दिया है भगवान ने
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ हैं.
गुलज़ार…