हर स्त्री चाहती है कि उसकी प्रेग्नेंसी पूरी तरह सुरक्षित और खुशनुमा बनी रहे। इसके लिए वह पूरी सावधानी भी रखती है, लेकिन कई बार छोटी-छोटी समस्याएं परेशान करती हैं। अस्थमा ऐसी ही समस्या है, जिसमें मां और बच्चे दोनों को नुकसान होता है। कुछ बातों का ध्यान रखकर अस्थमा को नियंत्रित रखा जा सकता है…
प्रेग्नेंसी हेल्दी और खुशनुमा रहे, हर स्त्री की यही चाहत होती है, लेकिन कई बार छोटी-छोटी समस्याएं उसे परेशान करती हैं। बढ़ते प्रदूषण और खराब लाइफस्टाइल के कारण आजकल भारतीय स्त्रियों को प्रेग्नेंसी में अस्थमा की समस्या काफी परेशान करने लगी है। सर्वेक्षणों के अनुसार, प्रेग्नेंट स्त्रियों में करीब सात-आठ प्रतिशत स्त्रियां अस्थमा की समस्या से जूझ रही हैं। अस्थमा न सिर्फ गर्भवती महिला, बल्कि भ्रूण को भी नुकसान पहुंचाता है। कई बार इससे स्थिति गंभीर हो जाती है।
गर्भावस्था के आरंभिक चरण से ही सावधानी बरती जाए तो समस्या से बचा जा सकता है, क्योंकि अस्थमा नियंत्रण से बाहर हो जाए तो इससे कई बार बच्चा अंडरवेट या प्रीमेच्योर पैदा हो सकता है। अस्थमा के सामान्य लक्षण हैं- बंद नाक, सांस लेते समय सीटी बजने की आवाज निकलना, लगातार कफ और सांस लेने में दिक्कत होना। गर्भवती स्त्रियों को सिरदर्द, थकान या अनिद्रा की समस्या हो सकती है।
सावधानियां
स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती स्त्रियां कुछ बातों को ध्यान में रखें तो अस्थमा की समस्या पर काबू पाया जा सकता है
-बदलते मौसम में सेहत का ध्यान रखें। खासतौर पर खुली हवा में बाहर निकलने पर मास्क जरूर पहनें।
-ठंड के मौसम में इनर पहनें। गले व छाती पर गर्म तेल की मसाज फायदेमंद रहती है।
-पेंट, तेज गंध और पर्यावरण प्रदूषण से दूर रहें। पालतू कुत्ता या बिल्ली से दूर रहें।
-मौसम संबंधी संक्रमणों से बचें। जुकाम, साइनस और फ्लू के कारण अस्थमा की समस्या बढ़ सकती है।
-रोज दस-पंद्रह मिनट प्राणायाम करने से अस्थमा की समस्या में आराम मिलता है।
-अस्थमा में इनहेलर से भी लाभ मिलता है, क्योंकि यह सीधे लंग्स में पहुंचता है। समस्या ज्यादा हो तो घर में ऑक्सीजन सिलिंडर रखा जा सकता है।
-इमोशनल हेल्थ का ध्यान रखें। अस्थमा का संबंध इमोशंस से भी होता है।
-गर्भवती स्त्री को धूम्रपान वाली जगह पर जाने से बचना चाहिए। धूम्रपान वाली जगह पर रहने से अस्थमा अटैक की आशंका दोगुनी हो जाती है, जिससे भ्रूण को ऑक्सीजन सप्लाई कम हो जाती है।
-अत्यधिक श्रम वाले कार्यों से दूर रहें, लेकिन हल्के-फुल्के काम करती रहें।