स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों में कचरा प्रबंधन पर विशेष जोर

रायपुर

छत्तीसगढ़ के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्रामीण इलाकों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट के प्रबंधन पर यहां तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। वाटर-एड संस्था के सहयोग से विभाग के संचार एवं क्षमता विकास इकाई द्वारा 26 नवम्बर से 28 नवम्बर तक आयोजित कार्यशाला में गांवों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के तरीकों और तकनीकों की जानकारी दी गई। कार्यशाला में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता, जल एवं स्वच्छता सहयोग समिति (ॅैैव्) के जिला समन्वयक और जिला परियोजना समन्वयक प्रतिभागी के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के नोडल अधिकारी श्री के.के. मरकाम, संचार एवं क्षमता विकास इकाई के क्षेत्रीय सलाहकार श्री पुरूषोत्तम पंडा, राज्य सलाहकार श्री रूपेश राठौर, वाटर-एड के राज्य प्रतिनिधि श्री अनुराग गुप्ता और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री आर.के. शुक्ला भी उपस्थित थे।
कार्यशाला में प्रतिभागियों को बताया गया कि ठोस एवं तरल अपशिष्टों के प्रबंधन के लिए अधोसंरचना तैयार करने के लिए लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवो को आर्थिक सहायता दी जा रही है। इसके लिए 150 घरों वाले पंचायत को सात लाख रूपए, 300 घरों वाले पंचायत को 12 लाख रूपए, 500 घरों वाले पंचायत को 15 लाख रूपए एवं 500 से अधिक घरों वाले पंचायत को 20 लाख रूपए देने का प्रावधान है। कार्यशाला में छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) के मुख्य अभियंता श्री एस.एम. देशपांडे ने बताया कि गांवों में समुचित नालियां तथा सोख्ता गड्ढा बनाकर और इस्तेमाल किए हुए जल का पुनर्चक्रण कर तरल अपशिष्टों का निपटारा किया जा सकता है। इसी तरह से बायोगैस संयंत्र, नाडेप और वर्मी कम्पोस्ट पीट के द्वारा ठोस अपशिष्टों का प्रबंधन किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा बायोगैस संयंत्र के लिए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति परिवार को 12 हजार रूपए और सामान्य वर्ग के परिवार को नौ हजार रूपए का अनुदान दिया जा रहा है।
मसूरी (उत्तराखंड) के लालबहादुर प्रशासन अकादमी के श्री विपिन कुमार ने प्लास्टिक थैलियों के उपयोग और इसके अनुचित निपटान से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। जल एवं स्वच्छता सहयोग समिति (ॅैैव्) के संचालक डॉ. एम.ए. खान ने कार्यशाला में कहा कि गांवों को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए हर घर में शौचालय के साथ ही ठोस एवं तरल अपशिष्टों का प्रबंधन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके लिए पंचायत स्तर पर ठोस कार्य योजना बनाने के साथ ही साफ-सफाई के प्रति लोगों को प्रेरित करने की भी जरूरत है।