मनोरंजन डेस्क. दूरदर्शन पर 1987 में आई बहुचर्चित सीरियल रामायण एक बार फिर टीवी पर वापसी कर रही है. 28 मार्च से डीडी नेशनल पर इसका प्रसारण शुरू हो जाएगा जिसकी जानकारी केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने दी है. दरअसल कोरोनावायरस के चलते घोषित लॉकडाउन के बीच सोशल मीडिया पर तमाम लोग सरकार से लगातार रामायण के प्रसारण की मांग कर रहे थे. इसके बाद पब्लिक डिमांड पर सरकार ने फैसला लिया है.
शनिवार 28 मार्च से इसका पहला एपिसोड सुबह 9:00 बजे से 10:00 बजे तक दिखाया जाएगा. वहीं शाम को 9:00 बजे से 10:00 बजे तक दूसरा एपिसोड प्रसारित किया जाएगा. जिसकी जानकारी सोशल मीडिया पर प्रकाश जावेडकर ने ट्वीट कर दी. रामानंद सागर की रामायण में अरुण गोविल ने राम, सुनील लहरी लहरी ने लक्ष्मण, और दीपिका चिखलिया ने सीता का किरदार निभाया था. इस शो का इतना क्रेज था कि लोग इसके एक एपिसोड को भी मिस नहीं करते थे. उस समय जिन घरों में टेलीविजन हुआ करते थे, वहां लोग भारी संख्या में उपस्थित होकर एकजुट इस सीरियल का लुफ्त उठाया करते थे.
अब जब दोबारा इस शो को रीटेलीकास्ट किया जा रहा है तो दर्शकों में इसे लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है. लोग सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया भी जाहिर कर रहे हैं कुछ पुराने किस्से,पुरानी यादें शेयर कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि इस नए दौर में भी री-टेलीकास्ट हुए इस रामायण का क्रेज लोगों में बहुतायत में देखने को मिलेगा.
रामायण एक हिंदू रघुवंश के राजा राम की गाथा है यह आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है. इस रामायण को आदि काव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि भी कहा जाता है रामायण के कुल 7 अध्याय हैं जो कांड के नाम से भी जाने जाते हैं.
जानिए कहां से उत्पन्न हुई राम कथा?
तुलसीदास जी के अनुसार सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती को सुनाई थी. जहां पर भगवान शंकर पार्वती जी को भगवान श्री राम की कथा सुना रहे थे वहां एक कौवा का घोंसला था. और उसके भीतर बैठा कागा भी उस कथा को सुन रहा था. कथा पूरी होने के पहले ही माता पार्वती को नींद आ गई. उस पक्षी ने पूरी कथा सुन रखी थी उस पक्षी का पुनर्जन्म काकभुसुंडि के रूप में हुआ. काकभुसुंडि जी ने यह कथा गरुड़ जी को सुनाई. भगवान श्री शंकर के मुख से निकली श्रीराम की अपवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से प्रख्यात हुई अध्यात्म रामायण को ही विश्व का सर्वप्रथम रामायण माना जाता है.
हृदय परिवर्तन हो जाने के कारण एक दस्यु से ऋषि बन जाने तथा ज्ञान प्राप्ति के बाद वाल्मीकि ने भगवान श्री राम के इस वृत्तांत को पुनः श्लोक बद्ध किया. महर्षि वाल्मीकि के द्वारा श्लोक बद्ध भगवान श्री राम की कथा को वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है. देश में विदेशियों की सत्ता होने के बाद संस्कृत का हाथ होने लगा था. और भारतीय लोग उचित ज्ञान के अभाव तथा विदेशी सत्ता के प्रभाव के कारण अपनी संस्कृति को भूलने लग गए थे. ऐसी स्थिति में संत तुलसीदास जी ने एक बार फिर से भगवान श्री राम की पवित्र कथा को देसी भाषा में लिखा. संत तुलसीदास जी ने अपने द्वारा लिखित भगवान श्रीराम की कल्याणकारी कथा से परिपूर्ण इस ग्रंथ का नाम रामचरितमानस रखा सामान्य रूप से रामचरितमानस को तुलसी रामायण के नाम से भी जाना जाता है.