अंबिकापुर. त्यौहार कोई भी हो.. अगर उसको लीक से हटकर मनाया जाए. तो फिर चर्चा तो होना तय है. ऐसा ही अम्बिकापुर मे देखने को मिला जहां नारी शक्ति की संयोजिकाओ ने सामूहिक रुप से होमगार्ड के जवानो के सूने हाथो मे राखी बांध कर रक्षाबंधन का पर्व मनाया. दरअसल 1981 के बाद ये पहला मौका है. जब रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस दोनो एक ही दिन पडा. जिससे जवान अपने घर नही जा पाए.. लेकिन उनकी कलाई सूनी नही रही.. और इस मौके पर कुछ जवान भावुक भी हो गए.
करीब साढे तीन दशक बाद भाई बहनो के अटूट प्रेम का पर्व रक्षाबंधन और देश का महापर्व स्वतंत्रता दिवस दोनो एक ही दिन आयोजित हुआ. ऐसे मे स्वतंत्रता दिवस के दिन सरकारी महकमे मे काम करने वाले लोगो का जहां दफ्तर जाना पडा तो वही सुरक्षाकर्मियो को दिन भर लोगो की सुरक्षा के लिए अलग अलग जगहो पर तैनात रहना पडा.. लिहाजा सुरक्षाकर्मी रक्षाबंधन पर अपने बहनो के पास नहीं पहुंच पाए.. लेकिन अम्बिकापुर मे भाजयुमो की महिला शक्ति प्रकोष्ट की संयोजिकाओ ने एक सामजिक पहल करते हुए होमगार्ड और एनडीआरफ के जवानो के सूनी कलाई मे रक्षा सूत्र बांध कर रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया. इस संयोजिकाओ की माने तो जो भाई पूरे समाज की रक्षा के लिए दिन रात तैनात रहते हैं.. उनकी कलाई भला रक्षाबंधन के दिन कैसी सूनी रहती .. इसलिए उन्होने अपनी बहनो के पास ना पंहुच पाने वाले.. जवानो के हाथो को राखी बांध कर उनकी और अपने त्यौहार की खुशी बढा ली..
वहीं इस अवसर पर महिला शक्ति प्रकोष्ट भाजयुमो की संयोजिका प्रिया सिंह ने कहा की हमारे देश के जवान जो हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तैनात रहते हैं. और वो इस त्यौहार को अपने घर जाकर अपने परिवार के साथ मना नहीं सके. इसलिए हम साड़ी बहने रक्षा बंधन का त्यौहार मनाने यहाँ आये, ताकि उनके परिवार की जो कमी है उसे पूरा कर सकें.
वहीँ अपने घर परिवार से दूर रह रहे नगर सैनिक के जवान राखी बंधाने के बाद भावुक हो उठे और कहा की भाई बहन के त्यौहार में हम घर जा नहीं सके. और युवा मोर्चा वाली बहन लोग आये और हमलोग को भाई समझ के राखी बाँधे. हमें बहुत भावुक लग रहा है.
स्वतंत्रता दिवस के मुख्य सामारोह और परेड के बाद ..आज अचानक 50 से अधिक की संख्या मे महिला शक्ति संयोजिका होम गार्ड कैंपस मे पहुंची और उन्होने सभी जवानो को रक्षासूत्र बांध कर राखी का पर्व मनाया. इस दौरान कुछ जवान भावुक भी हो उठे. तो कुछ ने इसे अनुभव पहल बताकर. ये कहा कि अगर ये बहने ना आती तो ना घर से आई राखी बांधने वाला कोई होता और ना ही कोई बहन उनकी कलाई पर अपना प्यार बांधती.
भारतीय परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन, भाई बहनो का सबसे बडा और पवित्र माना जाता है. ऐसे मे अगर कोई भाई अपनी बहन से और कोई बहन अपनी भाई से दूर हो तो.. फिर उस पर्व के दिन तो कोई भी इंसान मानषिक रूप से परेशान रहेगा.. लेकिन जैसा प्रयास अम्बिकापुर मे महिला शक्ति संजोयिकाओ ने किया.. अगर वैसा प्रयास हर जगह.. हर रक्षाबंधन मे करने लगे.. तो भाई बहन के अटूट प्रेम के त्यौहार मे शायद कोई निराश नही रहेगा.