जांजगीर चांपा। जिला मुख्यालय के नगर पालिका वार्ड नंबर 2 दर्रीपार के लोगो के लिए आजादी के 72 साल बाद भी आने जाने के लिए आम रास्ता नसीब नही हुआ है। वहां निवारत लोग रेल्वे स्टेशन में बने सीड़ी से या रेल्वे टेªक पार कर आजा जाना करते है। आपको बता दे की नैला के रेल्वे स्टेशन के उस पार लगभग 70 से 80 घरो में लोग निवासरत हैं। यहां लोगो को हर एक जरूरत का समान के लिए रेल्वे पटरी पार कर नैला आना होता हैं। वहां लोग इस हालत मे रहने को मजबूर है। दर्रीपार के निवासरत लोगो के दरवाजे तक न कोई दो पहिया वाहन जाता है न ही कोई चार पाहिया वाहन जाता। किसी भी व्यक्ति को बीमार होने या किसी घर मे समान लाना ले जाना हो तो रेल्वे द्वारा बनाये केबीन के पास रेल्वे टेªक का पार कर आना जाना करना होता है। यहां बीमार व्यक्ति को पीठ पर लाद कर या चार व्यक्ति के सहारे रेल्वे स्टेशन की ओर लाना होता है। इस वार्ड मे नगर पालिका का कोई सफाई कर्मी जाता हैं न किसी व्यक्ति के बीमार होने पर 108 वाहन जाता हैं । दर्रीपार वार्ड मेें किसी प्रकार की घटना होने या किसी बीमार व्यक्ति को हास्पिटल ले जाने के लिए 1 किमी रेल्वे पटरी पार कर शहर आना पड़ता है।
घर तक रिक्सा तक नही पहुचता…
दर्रीपार के लोगो का कहना है कि हमारे घर में नही किसी की तबीयत खराब होता है या किसी महिला का डिलवरी होने पर हम 108 वाहन को फोन कर बुलाते है तो वाहन घर तक नही आ पाता . रेल्वे स्टेशन के उस पार हमको जाना पड़ता है। तब जाकर हमे स्वास्थ्य विभाग का 108 वाहन नसीब होता है। इस दर्रीपार वार्ड में किसी प्रकार की बुनीयादी सुविधाऐ नही है। आये दिन यहां लोग बीमार पड़ते है जिसके कारण हास्पिटल आने जाने मे बीमार व्यक्ति को पा कर या गोदी मे उठा कर रेल्वे क्रास कराना पड़ता है।
रेल्वे टेªक पार करते वक्त बना रहता है डर….
रेल्वे स्टेशन के उस पार बसे वार्ड नं 2 दर्रीपार वासीयो के लिए जिंदगी किसी मुसीबत से कम नही हैं । यहां के बच्चे पढ़ने या किसी जरूरत का समान लेने हमेशा बच्चो को व महिलाओ ंको नैला आना जाना होता पड़ता है। लेकिन यहां आम रास्ता नही होने की वजह से मजबूरी मे रेल्वे लाइन पार कर आना जाना करना पड़ता हैं। आये दिन लोग इस तरह आने जाने से डरे सहमे रहते है। कई बार यहां हादसे होने न हो जाये करके डर बना रहता है।
स्कूल जाने के लिए बच्चे करते है रेल्वे पटरी से आना जाना…
दर्रीपार के स्कूली बच्चे पढ़ने के लिए रोजाना रेल्वे पटरी पार कर नैला आना जाना करते हैं । कई बार स्कूली बच्चे अपने साइकल को रेल्वे पटरी से पार कराते वक्त गिर जाते हैं। लोग बताते है कि कई बार बच्चे रेल हादसे से बचे बचे है। अनजाने में या कभी ट्रेन आने के वक्त जल्दबाजी में ऐसा हादसा हो जाता हैं जिससे बच्चो के परिजनो की इसकी चिंता लगी रहती है। लेकिन इस ओर जिला प्रशासन ध्यान नही दिया है।