रायपुर 01 सितंबर 2014
भाजपा प्रदेष अध्यक्ष धरम लाल कौषिक के द्वारा अंतागढ़ में उम्मीदवारों के नाम वापसी का औचित्य ठहराते हुये जारी किये गये बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेष कांग्रेस के महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा के तर्क बेहद बचकाने और सतही है। अंतागढ़ में भाजपा लोकतंत्र की हत्या की गुनहगार है। कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार को देखकर निर्दलीयों ने नाम वापस ले लियो जैसे बातें करके भाजपा अध्यक्ष भाजपा के पाप की गठरी को हल्का करने का प्रयास कर रही है। मंतूराम पवार के आरोप पूरी तरह से निराधार और मनगढ़ंत है। पैसे के प्रभाव में इस तरह के हरकते की गयी हैं। भाजपा का अंतागढ़ का उप चुनाव हारना तय हो चुका था। दर्जन भर निर्दलीयों की नाम वापसी यह स्पष्ट कर देती है कि मंतूराम पवार के नाम वापसी के लिये गये तर्क और नाम वापसी के लिये बताये गये कारण पूरी तरह से गलत है। क्या भाजपा निर्दलियों के समर्थकों में भी आपसी विवाद की बात कहकर इतनी बड़ी संख्या में नाम वापसी को औचित्य साबित करेगी?
अंतागढ़ उपचुनाव में राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार चुनाव में तय शुदा हार से बचने के लिये अपने सरकारी संसाधनों का भरपूर दुरूपयोग किया है। पुलिस प्रषासन के माध्यम से सरकार उम्मीदवारों को भय, दबाव और प्रलोभन देकर प्रत्याषियों पर नाम वापसी हेतु दबाव बनाया गया है। कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्याषी मंतुराम पवार का नाम वापसी इसका जीताजागता प्रमाण है। भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में हारने की डर से आतंक दबाव और खरीद फरोख्त की राजनीति कर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम दिया है। उपचुनाव मे भाजपा के द्वारा खुलकर धन बल पुलिस बल और सत्ता बल का उदाहरण कांकेर में देखने को मिला। प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल को होटल में नजरबंद किया गया। सुरक्षा के नाम पर मिलने जुलने वालों पर नजर रखी गयी। होटल की बिजली रातभर गुल रखी गयी। प्रदेष कांग्रेस कमेटी के सचिव पंकज महावर के घर रात 03.30 बजे धमतरी और कांकेर के पुलिस बल ने 20-25 गुण्डों और 40-50 कमांडो के साथ आक्रमण किया। दीवार लांघकर प्रदेष कांग्रेस कमेटी के सचिव पंकज महावर के घर का दरवाजा तोड़ा गया। 6 निर्दलीय प्रत्याषियों को बंदूक की नोक पर पुलिस और इन असामाजिक तत्वों के साथ अपहरण करके ले जाया गया और नाम वापसी करवायी गयी। पुलिस खाकी वर्दी में भाजपा कार्यकर्ताओं की तरह आचरण कर रही थी और गुण्डों की मदद कर रही थी। भाजपा का यह कृत्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया की हत्या है। निर्दलीय प्रत्याषीगणों को पुलिस प्रषासन के कब्जे में लेकर दबाव डालकर नाम वापस करवा लिया गया। राज्य की भाजपा सरकार के इस कृत्य से निष्चित रूप से अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव निष्पक्ष व पारदर्षी संपन्न होना संभव ही नहीं रह गया था।