Superbugs Attack, ICMR Report, ICMR Report on Superbugs : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की एक हालिया रिपोर्ट ने देशभर में एक नई चिंता पैदा कर दी है। रिपोर्ट के अनुसार देश के 21 प्रमुख अस्पतालों में खतरनाक ‘सुपरबग्स’ के पाए जाने की पुष्टि हुई है। इन सुपरबग्स की उपस्थिति से न केवल मरीजों, बल्कि उनके परिवारों और अस्पतालों के कर्मचारियों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। इस खुलासे ने अस्पतालों में स्वच्छता और सुरक्षा उपायों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुपरबग्स का खतरा
ICMR की रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुछ प्रमुख अस्पतालों में सुपरबग्स का प्रकोप बढ़ गया है। इनमें दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), चंडीगढ़ का पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGIMER), चेन्नई का अपोलो अस्पताल, और दिल्ली का सर गंगा राम अस्पताल शामिल हैं। इन अस्पतालों के आईसीयू, ओपीडी और वार्डों में खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस के अंश पाए गए हैं। वायरस मरीजों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य के लिए जानलेवा हो सकते हैं।
रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि इन सुपरबग्स ने एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है। इन बैक्टीरिया में ‘क्लेबसिएला न्यूमोनिया’ और ‘एस्चेरिचिया कोलाई’ शामिल हैं, जो सामान्य संक्रमण वाले मरीजों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। इन संक्रमणों का इलाज साधारण दवाओं से संभव नहीं है, और मरीजों को महंगी और अधिक शक्तिशाली दवाओं की आवश्यकता पड़ती है।
UNEP की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने सुपरबग्स के बढ़ते खतरे को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। UNEP की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में सुपरबग्स का खतरा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से भी बड़ा हो सकता है। अनुमान के अनुसार, 2050 तक हर साल लाखों लोग इन सुपरबग्स के कारण अपनी जान गंवा सकते हैं, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ेगा। UNEP का कहना है कि 2030 तक सुपरबग्स के चलते लगभग 3.4 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक क्षति हो सकती है। इसके साथ ही सुपरबग्स के बढ़ते खतरे से गरीबी की दर भी बढ़ सकती है। जिससे करोड़ों लोग गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं।
आवश्यक कदम और उपाय
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने अस्पतालों में स्वच्छता मानकों को बढ़ाने, संक्रमण नियंत्रण उपायों को सख्त करने और सुपरबग्स के इलाज के लिए नई रणनीतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया है। साथ ही यह भी आवश्यक है कि एंटीबायोटिक दवाओं के अति प्रयोग को रोका जाए और मरीजों को एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रति जागरूक किया जाए।