Hinduism Ideology Explainer : हिन्दू और हिंदुत्व पर राहुल गाँधी के बयान पर सियासत तेज, कभी बोले थे नेहरू- मैं जन्म से हिन्दू, क्यों अम्बेडकर ने कहा था “मैं हिन्दू नहीं मरूंगा”

Hindu Card, Hinduism Ideology Explainer, Rahul Gandhi, Baba Bhimrao Ambedkar

Hindu Card, Hinduism Ideology Explainer, Rahul Gandhi, Baba Bhimrao Ambedkar : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया, जिसने देशवासियों की ध्यान अवश्य आकर्षित किया है। उन्होंने संसद में भगवान शंकर की एक तस्वीर दिखाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में एक बार कहा था कि “हिंदुस्तान ने कभी किसी पर हमला नहीं किया। इसका कारण यह है कि हिंदुस्तान अहिंसा का देश है। यह डरता नहीं है।”

उन्होंने इस बयान के संदर्भ में कहा कि उनके महापुरुषों ने यह संदेश दिया है कि “डरो मत, डराओ मत। शिवजी कहते हैं – डरो मत, डराओ मत और त्रिशूल को जमीन में गाड़ देते हैं।” उन्होंने दूसरी ओर उन लोगों को निशाना बनाया जो अपने आपको हिंदू कहते हैं, कहते हैं कि “24 घंटे हिंसा-हिंसा-हिंसा..नफरत-नफरत-नफरत… आप हिंदू हो ही नहीं। हिंदू धर्म में साफ लिखा है सच का साथ देना चाहिए।”

Hinduism Ideology Explainer : सियासत गरम

राहुल गांधी के इस बयान ने देश की सियासत को एक बार फिर से गरमा दिया है। इस घटना ने उस समय की याद दिलाई जब राजनेताओं ने धर्म और धर्मनिरपेक्षता के बारे में ताकतवर बहस की थी। लेकिन इस बार, मुद्दे का तनाव और भाषा का उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया है। इस बार, हिंदू और हिंदुत्व के मतलब पर समझौते के बाद भी बहस जारी है, जबकि यह पहले ही से निर्धारित हो चुका है।

Hinduism Ideology Explainer : हिंदू और हिंदुत्व का व्याख्यान

हिंदू और हिंदुत्व का व्याख्यान करने से पहले, इसका संक्षिप्त इतिहास और प्राचीनता को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस शब्द का उपयोग और अर्थ विविध रूपों में किया गया है, और यह भारतीय समाज के धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से इस शब्द का अर्थ विविध हो सकता है, लेकिन इसका मूल अर्थ है “भारतीय होना” या “भारतीय सभ्यता का अंश होना”। हिंदू धर्म भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी धार्मिक परंपरा में से एक है, जिसने दुनिया भर में अपनी प्रभावशाली पहचान बनाई है। यह धर्म सत्य, अहिंसा, और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को प्रमाणित करता है। भारतीय सभ्यता के साथ-साथ, हिंदूत्व ने अन्य धर्मों और समाजों के साथ भी समझौता किया है और उनका सम्मान किया है।

Hinduism Ideology Explainer : बंकिम चंद्र के “आनंदमठ” में “हिंदुत्व”

हिंदुत्व शब्द का पहला इस्तेमाल बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास “आनंदमठ” में किया गया था। इस उपन्यास में उन्होंने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता के महत्व को बढ़ावा दिया। इसके बाद, बाल गंगाधर तिलक और विनायक दामोदर सावरकर ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान “हिंदुत्व” शब्द का व्यापक रूप से प्रचार किया। इसे उन्होंने राष्ट्रीय समर्थन और संघर्ष के लिए एक माध्यम के रूप में उपयोग किया, जिसमें भारतीयता और राष्ट्रीय अनुभूति को महत्व दिया गया।

Hinduism Ideology Explainer : हिंदू धर्म का अर्थ और व्याख्यान

हिंदू धर्म का अर्थ और व्याख्यान विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक प्रेरणाओं से प्राप्त होता है। विभिन्न महापुरुषों ने इसे अपने अपने समय में अपनी दृष्टि से देखा है। महात्मा गांधी ने अपने जीवन में अहिंसा, सत्य, और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को अपनाया और उन्होंने हिंदू धर्म को इन मूल्यों का प्रमाण माना। उन्होंने कहा था, “यदि मुझसे पूछा जाए कि क्या तुम धर्म का अनुसरण करते हो, तो मैं उत्तर दूंगा, ‘हां, धर्म का अनुसरण करता हूं, क्योंकि मैंने अहिंसा का अनुसरण किया है।'”

Hinduism Ideology Explainer : नेहरू का “जन्म से हिंदू हूं” बयान

जवाहरलाल नेहरू जी ने 1929 में लाहौर कांग्रेस में एक अहम भाषण में उन्होंने अपनी धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण को साझा किया था। उन्होंने इस भाषण में कहा था, “मैं जन्म से हिंदू हूं, मगर मुझे यह नहीं पता कि खुद को हिंदू कहना या हिंदुओं की ओर से बोलना कितना उचित है।” नेहरू जी के इस बयान से स्पष्ट होता है कि उनकी धार्मिकता पर उनका विचार गहराया और उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की महत्वाकांक्षा को उजागर किया।

नेहरू जी विश्वविद्यालयीन तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले व्यक्ति थे, जो धार्मिकता के प्रति विज्ञानात्मक और तर्कसंगत दृष्टिकोण रखते थे। उन्हें मानवीय मूल्यों की प्राथमिकता थी और धार्मिक अंधविश्वास और कर्मकांड के खिलाफ थे। उनकी दृष्टि में धर्म व्यक्तिगत विशेषताओं से अधिक मानवतावादी मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए।

Hinduism Ideology Explainer : आंबेडकर का “मैं हिंदू के रूप में नहीं मरूंगा”

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भारतीय समाज में जातिवाद और असमानता के खिलाफ अपने संघर्ष के जरिए बहुमूल्य योगदान दिया। उन्होंने 1935 में एक सभा में अपने समर्थकों के समक्ष यह स्पष्ट किया कि वे स्वयं को हिंदू धर्म के अनुयायी नहीं मानते हैं।

आंबेडकर जी का कहना था कि उन्हें वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है, जो करुणा, समानता और स्वतंत्रता की आवश्यकताओं को पूरा करता है। उनके विचारों में जाति प्रथा के विरोध में धर्म को उसकी मूल अर्थात्मकता में समझा जाना चाहिए। इसके पश्चात, आंबेडकर जी ने बौद्ध धर्म अपनाया, जिसमें समानता और न्याय की भावना सर्वोपरि थी।

Hinduism Ideology Explainer : सुप्रीम कोर्ट का “हिंदुत्व” के परिप्रेक्ष्य में विचार

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय समाज में “हिंदुत्व” शब्द के परिप्रेक्ष्य में विचार किया है और इसे धर्म की विशेषताओं से परिभाषित करने की कठिनाई को महसूस किया है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उजागर किया कि “हिंदुत्व” केवल किसी एक ईश्वर की पूजा, मजहबी रीति या रीति-रिवाजों से सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक जीवन पद्धति को संदर्भित करता है जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जुड़ा है। इस तरह, सुप्रीम कोर्ट ने “हिंदुत्व” को एक सामाजिक, राष्ट्रीय और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के रूप में स्वीकार किया है।

इस प्रकार, हिंदू धर्म के अर्थ और व्याख्यान का समझना और इसे समर्थन देना हमारे राष्ट्रीय एकता, सामाजिक अखंडता, और विविधता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इस धर्म को समझना और इसके मूल्यों को समाज में प्रसारित करना हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को मजबूती देगा।