Devsnan Purnima: 14 दिन तक बुखार में रहते हैं भगवान जगन्नाथ, इस खास नियम से उतारा जाता है फीवर

Jaggannath Temple, Jaggannath Temple Ritual, Jaggannath God, Devsnan Purnima : यह पूर्णिमा भगवान जगन्नाथ के देवस्नान की अद्वितीय परंपरा को दर्शाती है, जो उनकी विशेष पूजा और स्नान से जुड़ी होती है।

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Jaggannath Temple, Jaggannath Temple Ritual, Jaggannath God, Devsnan Purnima : ओडिशा के पुरी शहर में ज्येष्ठ पूर्णिमा का अनोखा देवस्नान पूर्णिमा उत्सव 22 जून, 2024 को विशेष धूमधाम से मनाया गया। यह पूर्णिमा वर्ष का एकमात्र दिन है जब भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र को उनके धार्मिक अद्यात्मिक स्नान के लिए विशेष रूप से समर्पित किया जाता है। इस अवसर पर लाखों भक्तों ने जगन्नाथ मंदिर के पास इकट्ठा होकर भगवान के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की।

Devsnan Purnima : देवस्नान पूर्णिमा का इतिहास

इस पूर्णिमा का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन भगवान जगन्नाथ ने अपनी जन्म ली थी। इसलिए इस दिन को विशेष पूजा-अर्चना और स्नान के माध्यम से भगवान के अद्वितीय अवतार का समर्पण किया जाता है।

Devsnan Purnima : देवस्नान का रहस्यमय संस्कार

देवस्नान के बाद, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को ‘अनासर’ घर ले जाया जाता है, जो मंदिर प्रांगण में स्थित है। इस समय उन्हें अपने बिल्कुल नए सूती वस्त्र पहनाए जाते हैं और उनके द्वारा किए गए स्नान के पश्चात उन्हें अच्छी देखभाल की जाती है।

Devsnan Purnima : देवस्नान के बाद भगवान को आ जाता है बुखार

देवस्नान के बाद, भगवान जगन्नाथ को उनके स्नान के प्रभाव से बुखार आता है। इसे रोकने के लिए उन्हें विशेष चिकित्सा काढ़ा दिया जाता है, जिसमें विशेष जड़ी-बूटियों का उपयोग होता है। यह कार्यक्रम 14 दिनों तक चलता है, जिसमें उन्हें कोई भी दर्शन नहीं दिया जाता है। इसके बाद उन्हें पुनः भक्तों के दर्शन के लिए उपलब्ध कराया जाता है।

Devsnan Purnima : भगवान जगन्नाथ के लिए विशेष कुआं और स्नान

जगन्नाथ महाप्रभु के स्नान के लिए सोने के वर्गाकार कुएं से पानी लाया जाता है, जिन्हें ‘सुना गोसाई’ नामक सेवक निगरानी करते हैं। इस कुएं का जल 108 विशेष घड़ों में भरकर उन्हें सुगंधित बनाया जाता है, और उसके बाद ये घड़े स्नान मंडप तक ले जाए जाते हैं जहां वे स्नान कराए जाते हैं।

Jaggannath Temple Ritual : देवस्नान की परंपरा का अनोखा महत्व

यह पूर्णिमा भगवान जगन्नाथ के देवस्नान की अद्वितीय परंपरा को दर्शाती है, जो उनकी विशेष पूजा और स्नान से जुड़ी होती है। इस अवसर पर संस्कृति और धर्म के विभिन्न पहलुओं का महत्वपूर्ण प्रदर्शन होता है, जो लोक और विशेषज्ञ द्वारा समर्थन प्राप्त करते हैं।

इस समय जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में बने विशेष मंच पर भगवान की मूर्तियों का समर्पण किया जाता है, जिसे लोग ‘स्नान यात्रा’ के रूप में जानते हैं। यह यात्रा गाजे-बाजे के साथ भगवान की मूर्तियों को स्नान मंडप तक ले जाती है, जहां उन्हें विशेष पूजा-अर्चना के अवसर पर समर्पित किया जाता है।

देवस्नान पूर्णिमा एक ऐतिहासिक समारोह है जो ओडिशा के और भी निकटतम करता है उसके संस्कृति और धार्मिक महत्व को। यह उत्सव भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए विशेष स्नेह और आदर का प्रकटीकरण है और उनके आत्मिक उन्नति में एक महत्वपूर्ण कदम है।