Deputy Speaker : डिप्टी स्पीकर पद पर सस्पेंस, कांग्रेस की चाहत और संविधान की विशेषता, जानें टीडीपी का स्टैंड

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Politics, Deputy Speaker, TDP, NDA, BJP, Congress : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद ओम बिरला ने हाल ही में 18वीं लोकसभा के स्पीकर के पद की कमान संभाली है।

इस निर्णय के बाद, अब सवाल उठ रहा है कि लोकसभा का उपाध्यक्ष कौन बनेगा? इस चर्चा में एक महत्वपूर्ण सस्पेंस है – डिप्टी स्पीकर का पद किसे मिलेगा?

Deputy Speaker : बीजेपी और उपाध्यक्ष का संकल्प

बीजेपी के द्वारा उपाध्यक्ष पद पर किसे बैठाया जाएगा, यह अभी तक निर्धारित नहीं हुआ है। पिछली बार 17वीं लोकसभा में बीजेपी ने इस पद को अपने गठबंधनीय साथी एआईएडीएमके के एम. थंबीदुरई को सौंपा था। लेकिन इस बार विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर के पद को गठबंधन के रूप में मांगा था, जिसे सत्ता पक्ष ने अस्वीकार कर दिया।

Deputy Speaker : टीडीपी का स्टैंड

इसी बीच, तेलंगाना राष्ट्रीयीय समिति (टीडीपी) ने साफ कर दिया है कि वे डिप्टी स्पीकर के पद के लिए कोई दावेदारी नहीं देंगे। पार्टी के प्रवक्ता पट्टाबी राम कोमारेड्डी ने इसे स्पष्ट किया।

Deputy Speaker : डिप्टी स्पीकर की महत्वपूर्ण भूमिका

लोकसभा उपाध्यक्ष की भूमिका भी स्पीकर के जैसी ही महत्वपूर्ण होती है। अनुच्छेद 93 के तहत, उपाध्यक्ष को राज्यमंत्री जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। उनका पद खासकर जब स्पीकर अपने आसन पर नहीं होते हैं, सदन को संचालित करने में मदद करता है। इसके अलावा, उपाध्यक्ष की यह भी शक्ति होती है कि वे सदन को स्थगित और सांसदों को निलंबित भी कर सकते हैं।

Deputy Speaker : कांग्रेस की रणनीति

कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर के पद के लिए भी दावेदारी रखी है, इससे स्पष्ट है कि वे संसदीय स्थितियों को अपने लाभ में बदलना चाहते हैं। अनुच्छेद 94 के मुताबिक़, अगर किसी कारणवश स्पीकर अपने पद छोड़ते हैं तो उन्हें डिप्टी स्पीकर को ही इस्तीफा भेजना पड़ता है।

इस वक्त तक, डिप्टी स्पीकर पद की चर्चा अभी भी चल रही है और विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों की ओर से रणनीतिक उपाध्यक्ष चुनने के मामले में बातचीत जारी है। इस महत्वपूर्ण निर्णय के परिणामस्वरूप, लोकसभा के कार्यकाल में इस पद के धारावाहिक बदल से संसदीय प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तन आ सकते हैं।