Bhojshala Mandir, Masjid, Bhojshala Survey Explainer, Kamaal Maula Masjid Survey : मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद के विवादित ढांचे पर आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा की गई पुरातात्विक जांच का काम 24 जून की शाम 6 बजे पूरा हो गया। इस महत्वपूर्ण सर्वे के निष्कर्ष एएसआई के दस्तावेजों में दर्ज कर लिए गए हैं, और 4 जुलाई को इनकी रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश की जाएगी। हालांकि, रिपोर्ट का सार्वजनिक खुलासा कब होगा, यह अभी तय नहीं है। यह मामला अयोध्या और काशी के विवादों की तरह ही संवेदनशील है, जिससे रिपोर्ट के खुलासे को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है।
Bhojshala Survey Explainer : सर्वे का प्रारंभ और प्रक्रिया
सर्वे की शुरुआत 22 मार्च को की गई थी, जब एएसआई की 100 विशेषज्ञों की टीम ने कड़ी सुरक्षा के बीच इस संवेदनशील स्थल पर काम करना शुरू किया। इस दौरान हिंदू और मुस्लिम पक्षों के प्रतिनिधि भी टीम के साथ मौजूद थे। प्रारंभिक रूप से, सर्वे के लिए 6 सप्ताह का समय निर्धारित किया गया था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाने के लिए एएसआई ने एमपी हाईकोर्ट से अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की इस सर्वे के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया, और सर्वे प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी गई।
धार के काजी वकार सादिक और जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी के जुल्फिकार अहमद ने कई बार इस सर्वे पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि उन्हें इस सर्वे के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया था, हालांकि वे हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं।
Bhojshala Survey Explainer : सर्वे के दौरान सुरक्षा व्यवस्था
सर्वे के दौरान, भोजशाला में मंगलवार को हिंदू समाज ने हनुमान चालीसा का पाठ किया और शुक्रवार को मुस्लिम समुदाय ने नमाज अदा की, जो एक पुरानी परंपरा है। धार प्रशासन ने इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया था ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।
Bhojshala Survey Explainer : भोजशाला का विवाद: पृष्ठभूमि
भोजशाला, जो 11वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक स्थल है, को हिंदू समाज वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद कहता है। 7 अप्रैल 2003 को एएसआई ने एक व्यवस्था बनाई थी जिसके तहत हिंदू मंगलवार को भोजशाला में पूजा कर सकते थे और मुस्लिम शुक्रवार को नमाज अदा कर सकते थे। यह व्यवस्था आज भी लागू है, लेकिन इस मुद्दे पर कई बार धार्मिक तनाव पैदा हुआ है, खासकर जब बसंत पंचमी शुक्रवार को पड़ती है, जिससे दोनों पक्षों के बीच झगड़े की स्थिति बनती है।
Bhojshala Survey Explainer : इतिहास और विवाद की जड़ें
1875 में हुए उत्खनन के दौरान यहां से मां सरस्वती की प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जिसे अंग्रेजों ने लंदन ले जाया। हिंदू समाज इस स्थल को सरस्वती का मंदिर मानते हैं और उनका मानना है कि राजवंश के शासनकाल में कुछ समय के लिए मुसलमानों को नमाज अदा करने की अनुमति मिली थी। मुस्लिम समुदाय लंबे समय से इस स्थल पर नमाज अदा करने की परंपरा का दावा करता है।
Bhojshala Survey Explainer : 121 साल बाद एएसआई का सर्वे
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिकाओं पर सुनवाई के बाद, हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने भोजशाला का सर्वे करवाने की मांग की थी। इस अनुरोध के बाद, एएसआई ने भोजशाला में 22 मार्च से सर्वे करना शुरू किया। इस सर्वे में जीपीआर और जीपीएस तकनीकों का इस्तेमाल किया गया और पूरे भोजशाला परिसर की कार्बन डेटिंग की गई। यह सर्वे 121 साल बाद किया गया है, आखिरी बार 1902-1903 में एएसआई ने इस स्थल का सर्वे किया था।
Bhojshala Survey Explainer : सर्वे के दौरान घटनाएं
सर्वे के दौरान कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले, जिनमें माता वाग्देवी, भगवान गणेश, भगवान श्री कृष्ण, भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा, हनुमान और भैरवनाथ की प्रतिमाएं शामिल थीं। इन अवशेषों से यह संकेत मिलता है कि भोजशाला एक समय हिंदू धर्म से संबंधित था।
मुस्लिम पक्ष ने एएसआई के सर्वे पर सवाल उठाए और दावा किया कि उनकी ओर से किए गए दावों को सही तरीके से नहीं प्रस्तुत किया गया। सर्वे के अंतिम दिनों में कुछ विवादास्पद अवशेष मिले, जिनके बारे में मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई।
दोनों पक्षों के दावे
हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने दावा किया कि सर्वे के दौरान भगवान विष्णु की प्रतिमा और अन्य महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। उन्होंने कहा कि इन अवशेषों को संरक्षित कर लिया गया है और 2 जुलाई को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने कहा कि सर्वे के अंतिम दिनों में प्राप्त इंसानी हड्डियों को उचित तरीके से दफन किया गया और अन्य कोई अवशेष नहीं मिला। उन्होंने कहा कि सर्वे के बाकी कामों की निगरानी की जा रही है और किसी प्रकार की अनियमितता पर ध्यान दिया जा रहा है।
आगे का मार्ग
अब, एएसआई द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के आधार पर, न्यायालय में सुनवाई होगी। रिपोर्ट के खुलासे और संभावित कानूनी प्रक्रियाओं से पता चलेगा कि इस संवेदनशील मुद्दे का समाधान कैसे होगा। भोजशाला और कमाल मौला मस्जिद के विवाद पर आधारित यह सर्वे देश के इतिहास, संस्कृति और धार्मिक संवेदनशीलता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला है, जिसकी परिणति का सभी को बेसब्री से इंतजार है।
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर से धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और विवादों के समाधान में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर किया है। आगामी दिनों में, इस मुद्दे पर अदालत का फैसला और एएसआई की रिपोर्ट के खुलासे से इस विवाद के विभिन्न पहलुओं पर नई रोशनी डाली जाएगी।