भारत की ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जो़डी रविवार को 20वें राष्ट्रमंडल खेलों की बैडमिंटन स्पर्धा के महिला युगल वर्ग के फाइनल में हार मिली। भारतीय जो़डी को रजत पदक से संतोष करना पजडा। गुट्टा और पोनप्पा को एमिरेट्स एरेना में हुए खिताबी मुकाबले में मलेशिया की विवियन काह मुन और खेई वेई वुन ने 21-17, 23-21 से हराया। यह मैच 41 मिनट चला।
बैडमिंटन के व्यक्तिगत वर्ग में भारत का यह तीसरा पदक है। अब से कुछ देर पहले पारूपल्ली कश्यप ने देश के लिए पुरूष एकल का स्वर्ण जीता था। पुरूष एकल में भी आरएमवी गुरूसाईदत्त ने शनिवार को कांस्य पदक हासिल किया था। अब खबर है। राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने के कुछ देर बाद ज्वाला गुट्टा ने भारत में युगल मैचों के प्रति भेदभाव की क़डी आलोचना की और कहा कि देश में एकल खिला�़डयों को अधिक तवज्जो दी जाती है। गुट्टा और उनकी जो़डीदार अश्विनी अपने खिताब का बचाव करने में नाकाम रही और कल रात यहां महिला युगल फाइनल में मलेशिया की विवियन काह मुन हू और खेल वी वून से 17-21, 21-23 से हार गयी। गुट्टा ने कहा कि भारत में युगल प्रारूप को पर्याप्त सहयोग नहीं मिलने के कारण युवाओं को बै़डमिंटन में युगल के लिये प्रोत्साहित करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि हम पर काफी कुछ निर्भर करता है और हमने वह किया जिसका भारतीयों ने सपना भी नहीं देखा था। हमने कुछ नहीं मांगा लेकिन हम यह चाहते हैं कि हमारी उपलब्धियों को भी तवज्जो मिले। हमें इसके लिये पैसा नहीं मिलता और सरकार से मिलने वाली राशि ही सब कुछ होती है। गुट्टा ने कहा, हम अपने जूनियर को युगल में खेलने के लिये प्रेरित करना चाहते हैं लेकिन वहां इसको कोई मान्यता नहीं दी जाती। हम अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं और वह खेल खेलना चाहते हैं जिसे हम चाहते हैं। हम पैसे के लिये ऎसा नहीं करते क्योंकि बै़डमिंटन में पुरस्कार राशि बहुत कम होती है।
गुट्टा ने कहा, यदि एकल खिल़ाडी को दस डालर मिलते हैं तो युगल खिल़ाडी को दो डालर ही दिये जाते हैं। यह भी ठीक है लेकिन भारत में हमें कुछ नहीं मिलता। हमने भारत के लिये महत्वपूर्ण मैच जीता था लेकिन हवाई अडडे पर हमारी अगवानी करने के लिये कोई नहीं आया।
दूसरी तरफ एकल खिल़ाडी जो हमारी उपलब्धि के करीब भी नहीं पहुंच पाया उसका हवाई अड्डे पर जोरदार स्वागत किया गया। गुट्टा से पूछा गया कि क्या वह भविष्य में मिश्रित युगल में खेलेगी, उन्होंने कहा, नहीं मैं मिश्रित युगल में नहीं खेलना चाहती हूं। विशेषकर क्योंकि मेरे पास अच्छा जो़डीदार नहीं है। भारत में मिश्रित युगल में समस्या है। युगल खिला�़डयों पर ध्यान नहीं दिया जाता है और इसलिए कोई भी जूनियर खिल़ाडी इसे नहीं अपनाना चाहता है। – See more at: http://www.aapkisaheli.com/news/flame-doubles-matches-in-india-khdi-criticized-discrimination-against-225-78784.html#sthash.610Pnjwv.dpuf