Tulsi ki Mala: बनते काम बिगड़ जाते हैं तो धारण कर लें ये माला? मदद को दौड़े आएंगे भगवान विष्णु, रॉकेट की स्पीड से दौड़ेगा नौकरी-कारोबार

Importance of Tulsi Mala: सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, तुलसी में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। यही वजह है कि प्रत्येक सनातनधर्मी परिवार के घर में तुलसी का पौधा अवश्य दिखता है, जहां उनकी सुबह-शाम पूजा की जाती हैं। तुलसी के बीज से माला का भी खूब धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व है। यह माला हिंदू धर्म में पूजनीय है और भगवान विष्णु और उनके अवतारों, जैसे श्रीकृष्ण और श्रीराम की पूजा में उपयोग की जाती है। आइए आज हम आपको तुलसी माला के ऐसे ही 5 महत्व के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

तुलसी माला पहनने के लाभ

सकारात्मक ऊर्जा का संचार

कहते हैं कि तुलसी की माला पहनने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इससे मन शांत रहता है। यह माला पहनने से भगवान विष्णु और कृष्ण के प्रति श्रद्धा-समर्पण का अनुभव होता है।

मंत्र जाप करने में फायदेमंद

धार्मिक विद्वानों के अनुसार, तुलसी की माला पहनने वाले व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और वह सुख-समृद्धि को प्राप्त करता है। इस माला का उपयोग मंत्र जाप के लिए किया जाता है, खासकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “हरे कृष्ण महामंत्र” के लिए। ऐसा करने से ध्यान केंद्रित होता है और मानसिक शांति मिलती है।

तुलसी माला के आयुर्वेदिक लाभ

गले या हाथ में तुलसी माला धारण करने के कई सारे औषधीय लाभ भी हैं। असल में तुलसी एक औषधीय पौधा भी है। जिसके संपर्क में रहने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और वह तंदरुस्त रहता है। इसकी माला को धारण करने से डिप्रेशन और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है।

कितने प्रकार की होती हैं तुलसी माला

तुलसी की माला आमतौर पर 2 प्रकार की होती हैं। गले में पहनने के लिए छोटे मनके वाली माला इस्तेमाल की जाती है। वहीं जाप करने के लिए 108 मनके वाली माला का इस्तेमाल होता है।

तुलसी माला धारण करने के नियम

अगर आप भी तुलसी की माला धारण करना चाहते हैं तो उसके लिए कुछ नियमों का पालन जरूर करें। सबसे पहली बात तो तुलसी की माला को हमेशा स्वच्छ और पवित्र स्थान पर ही रखना चाहिए। इस माला को पहनने वाले व्यक्ति को सात्विक आचरण का पालन करना चाहिए। उसे मांसाहार और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। इस माला को धारण करने वाले व्यक्ति को नियमित रूप से भगवान विष्णु या कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। फटाफट न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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