अध्यात्म डेस्क. आस्था के महापर्व छठ का आज दूसरा दिन है. दूसरे दिन खरना व्रत होता है. दूसरे दिन व्रती शाम के समय नहाकर सूर्य की उपासना करते हैं और मीठा प्रसाद खीर का भोग लगाते हैं. खीर के साथ साथ आग पर बनी आंटे की मोटी रोटी का भी प्रसाद बांटा जाता है. दूसरे दिन महिलाएं दिन भर कुछ नहीं खाती है. शाम को सभी लोगों के बीच प्रसाद बांटा जाता है.
खरना के पूजा के लिए घर का सबसे शांत कोना चुना जाता है. खरना करते वक्त व्रती बिल्कुल शांत हो कर सूर्य की उपासना करते हैं. इस दौरान किसी भी व्यक्ति का प्रवेश निषेध होता है. खरना के वक्त व्रती धूप, दीप और अगरवत्ती जलाकर सूर्य की पूजा करते हैं. इसके अगले दिन महिलाएं शाम के समय नदी, तलाब या जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इस दिन ढ़लते सूरज को अर्ध्य दिया जाता है. अगले दिन सुबह का अर्घ्य के साथ ही पूजा का समापन हो जाता है.
अंतिम दिन सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब में खड़ा होकर अर्ध्य दिया जाता है. सूर्य की उपासना के लिए पानी खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रती कुछ खाकर अपना व्रत तोड़ते हैं.