“ गोरखपुर के युवा सन्यासी स्वामी राम शंकर देश भर के युवा पीढ़ी से जुड़ कर उनमे कर रहे है संस्कारो का आधान “
गोरखपुर शहर में पले बढे स्वामी राम शंकर महाराज कर रहे है पुरे भारतवर्ष में गोरखपुर का नाम। अभी तक देश के १२ राज्यों में संगीतमय श्री राम कथा का प्रवचन कर चुके है,इस कार्य को प्रभु की सेवा मानकर करते है। उद्देश्य है नयी पीढ़ी को रामकथा सुनकर राम जैसा पुत्र राम जैसा भाई राम जैसा मानव बनने हेरातु प्रेरित करना ताकि वर्तमान युवापीढ़ी में मजबूती से जीवन मूल्यों की स्थापना सके।
वेदांत ज्ञान हो या योग का कुशल अभ्यास अथवा हो भक्तिभाव युक्त संगीत साधना तीनो साधन ज्ञान, योग,भक्ती पर है पूर्ण अधिकार।स्वामी राम शंकर एक ऐसे युवा संन्यासी से जो शास्त्रो के भीतर ही नहीं बल्कि डिजिटल दुनिया में भी शानदार दखल रखते है। सोशल मिडिया में सन्यासी स्वामी राम शंकर अपनी कई खूबियों जैसे सरल ,सहज व आडम्बर मुक्त जीवन शैली के कारण बेहद लोकप्रिय है l आपके पेज का लिंक है :- https://www.facebook.com/
जीवन की यात्रा में हर समय पढ़ते रहने वाले स्वामी राम शंकर को संगीत से बेहद लगाव है, इसी वजह से इन दिनों छत्तीसगढ़ के विश्वप्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्विद्यालय,खैरागढ़ में स्थाई रूप से निवास कर संगीत को गहराई से जानने- सीखने एवं समझने हेतु संगीत की तालीम प्राप्त कर रहे है l
स्वामी रामशंकर का जन्म १ नवम्बर १९८७ को देवरिया जिले के ग्राम खजुरी भट्ट में हुआ, आपके पिता जी आपको पढ़ाने के लिये गांव से ले कर गोरखपुर चले आये, यही आप महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज गोलघर से १२ तक की पढ़ाई संपन्न किये , आगे जब आप पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी काम द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे तभी १ नवम्बर २००८ को भोर (प्रातः काल) में छुप कर अयोध्या आ गये जहा ११ नवम्बर को लोमश ऋषि आश्रम के महंथ स्वामी शिवचरण दास महाराज से संन्यास की दीक्षा प्राप्त कर भगवन की साधना में लग गयेl हलाकि दोस्तों के कहने पर आपने बी .काम . की पढ़ाई बिना नागा किये २००९ में पूर्ण कर लिये।
कुछ समय बीतने के बाद पूज्य स्वामी जी के ह्रदय में विचार प्रगट हुआ की सनातन धर्म का ठीक प्रकार से अध्यन करना चाहिए जिसके फल स्वरुप स्वामी जी अयोध्या छोड़ कर गुजरात चले गये वहा आर्य समाज के ”गुरुकुल वानप्रस्थ साधक ग्राम आश्रम ” रोजड़ में रह कर योग दर्शन की पढ़ाई व साधना किये l
इसके बाद आप कुछ समय हरियाणा के जींद में स्थापित गुरुकुल कालवा में रह कर संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई किये इसी जगह प्रख्यात योग गुरु स्वामी राम देव जी भी अपना बाल कॉल बिता चुके है l
तत्पश्चात सिप्तम्बर 2009 को हिमाचल के कांगड़ा जिला में स्थित चिन्मय मिशन के द्वारा संचालित गुरुकुल ” संदीपनी हिमालय” में प्रवेश प्राप्त कर गुरुकुल आचार्य संत शिरोमणि पूज्य पाद स्वामी गंगेशानन्द सरस्वती जी के निर्देशन में तीन वर्ष तक रह कर वेदांत उपनिषद्, भगवद्गीता ,रामायण आदि सनातन धर्म के शास्त्रो का अध्ययन संपन्न कर 15 अगस्त 2012 को आप शास्त्र में स्नातक की योग्यता प्रात किये l
अभी भी भीतर की योग विषयक पिपासा शांत नहीं हो पायी थी, जिसके कारण ही योग को समझने के लिये योग के प्रसिद्ध केंद्र ” बिहार स्कूल ऑफ़ योगा” मुंगेर ( रिखिआ पीठ ) में फरवरी 2013 से मई 2013 तक साधना किये l आगे अपनी पिपाशा शांत करने हेतु विश्व प्रसिद्ध ”कैवल्य धाम” योग विद्यालय लोनावला पुणे ,महाराष्ट्र में रह कर जुलाई 2013 से अप्रैल 2014 तक डिप्लोमा इन योग के पाठ्यक्रम में रह कर योग से सम्बंधित पतंजलि योग सूत्र , हठप्रदीपिका , घेरण्ड संहिता आदि प्रमुख शास्त्रो का अध्यन कर स्वयं में सुख का अनुभव करने के फलस्वरूप अपने समस्त अनुभव राशी को रामकथा में समाहित कर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के चरित्र को रोचकता के साथ संगीतमय प्रस्तुति कर समाज के नागरिको को सत्यनिष्ठ , सदाचारी बनने की प्रेरणा प्रदान कर रहे है है स्वामी जी युवाओ के साथ रहने एवं उनके साथ, उनके लिये कार्य करने में विशेष रूचि रखते है l इसी कारण संगीत सीखने के लिये विश्वविद्यालय चुनाव किये जहा के इतिहास में पहली बार कोई सन्यासी सगीत सीखने परिसर में दाखिला लिये स्वामी राम शंकर कहते है कि संगीत तो हम किसी अन्य शहर में रह कर भी सीख सकते थे किंतु अन्य किसी स्थान में दो चीजे कभी नही मिल पाती , पहली खैरागढ़ सदृश्य संगीत का वातावरण एवं दूसरी इतनी बड़ी संख्या में युवाओ का संग जिनके साथ हमें ढेर सारे विचार – विमर्श करने का सहज अवसर यहाँ सुलभ है l
गोरखपुर के कुसम्ही निकट में आयोजित रामकथा के वाचन हेतु आगमन हुआ था हलाकि अभी आप कुछ सप्ताह अपने मातापिता के साथ गोरखपुर में ही प्रवास करेंगे एवं अपने पुराने साथियो में मिलेंगे।आपके पिता नंदकिशोर मिश्रा जी कर्मकांड के आचार्य है जो गोरखपुर शहर में रहते है l जिनके दो पुत्र रामप्रकाश तथा उदय प्रकाश व एक पुत्री विजयलक्ष्मी जी है।
पिछले दिनों स्वामी राम शंकर जी के जीवन यात्रा पर आधारित गोरखपुर दैनिक जागरण ने एक बहुत ही मार्मिक स्टोरी प्रकाशित किया था जिसका लिंक है :- http://epaper.jagran.com/
स्वामी जी सच में एक यूनिक संत है, यदि संभव हो सके तो आप स्वामी जी के ऊपर लिखे मेरे इस आलेख को अपने समाचार पोर्टल में जगह प्रदान करे।
यदि आप स्वामी राम शंकर जी से व्यक्तिगत वार्ता करना जरुरी समझे तो स्वामी जी के मोबाईल नंबर 07839364379 पर सम्पर्क कर सकते है।