शरद पूर्णिमा का त्यौहार कब और कैसे मनाया जाएगा.. जानिए व्रत और पूजा विधि!

शरद पूर्णिमा कार्तिक मास स्नान प्रारंभ वाल्मीकि ऋषि जयंती पाराशर ऋषि जयंती लक्ष्मी इंद्र पूजन श्रेष्ठ दिन खीर पान दिन 31 अक्टूबर सन 2020 द्वितीय अश्विनी शुक्ला पूर्णिमा शनिवार को होगा। इस दिन सत्यनारायण भगवान का पूर्णिमा का दिन भी है। व्रत भी इसी दिन रहेगा। इस दिन चंद्रमा पूर्ण कलाओं से युक्त होकर आकाश में विद्यमान रहेंगे। इस दिन स्वास दम रोगों के लिए खीर बनाकर चंद्रमा को भोग लगाकर रात्रि 12:00 बजे भगवान की आरती करके प्रसाद ग्रहण करने से दमा श्वास फेफड़ों से संबंधित रोगों से मुक्ति मिलती है। खुली छत पर खीर को रखना चाहिए एवं चलनी से ढकना चाहिए, जिससे किरणें चंद्रमा की खीर पर आने से रोग मुक्ति होती है। इस दिन पुष्कर का कार्तिक स्नान प्रारंभ होता है प्रातः कालीन ब्रह्म मुहूर्त में पुष्कर तीर्थ में स्नान करने से पुष्कर तीर्थ की पूजन करने से पुष्कर तीर्थ की परिक्रमा करने से ब्रह्मा जी के दर्शन करने से करोड़ों पुण्य फल मिलता है।

शास्त्रों वेदों में लिखा है ब्रह्मा पुराण, विष्णु पुराण, पद्म पुराण में लिखा है कि कार्तिक के महीने में ब्रह्मा जी महाराज सावित्री व गायत्री माता के साथ पुष्कर तीर्थ में निवास करते हैं। ब्रह्मा जी महाराज के साथ 33 करोड़ देवी देवता एवं ऋषि मुनि भी विद्यमान रहते हैं। पुष्कर तीर्थ में समस्त तीर्थ नदियां समुद्र विद्यमान रहती है। पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा वह इंद्र देवता की पूजन का भी विधान लिखा है। रामायण का पठन करने वाले हनुमान जी महाराज के एवं श्री राम सीता के अनन्य भक्तों को पूर्णिमा के दिन महर्षि वाल्मीकि पूजन करना चाहिए। जिससे जीवन में सुख संपदा प्राप्त होती है।

आइए आप हो और हम सब कार्तिक स्नान करें लक्ष्मी विष्णु की पूजन करें। वाल्मीकि जयंती मनाए एवं चंद्रमा को पूर्णिमा के दिन पूजन करके प्रसन्न करें एवं जीवन में सुख शांति प्राप्त करें। परिवार में सुख समृद्धि प्राप्त करने का मौका का लाभ लेवे।
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ज्योर्तिविद पं०शशिकान्त पाण्डेय
9930421132/7820827200