Navratri Panchami: पंचमी के दिन लगाए खीर और केले का भोग, पढ़िए मंत्र, पूजा विधि

Chaitra Navratri 2023 Day 5 Maa Skandmata: चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन मां दुर्गा की पांचवी शक्ति मां स्कंदमाता हैं। 26 मार्च 2023 (रविवार) को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। देवी स्कंदमाता कार्तिकेय यानी कि स्कंद कुमार की माता हैं। इसलिए, इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया हैं। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। कहते हैं कि, नवरात्रि में निसंतान दंपत्ति को स्कंदमाता की विशेष उपासना करनी चाहिए। पौराणिक मान्यता हैं कि, स्कंदमाता की आराधना से सूनी गोद जल्द भर जाती हैं। आइए जानते हैं स्कंदमाता की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, उपाय.
चैत्र नवरात्रि 2023 पांचवे दिन का मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Day 5 Muhurat)

चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि शुरू – 25 मार्च 2023, दोपहर 04.23

चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि समाप्त – 26 मार्च 2023, दोपहर 04.32

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मां स्कंदमाता की पूजा विधि (Maa Skandmata Puja Vidhi)

सांसारिक जीवों में नवचेतना का बीज बोने वाली देवी कहलाती हैं मां स्कंदमाता। चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें और फिर देवी को पीला चंदन, पीली चुनरी, पीली चूड़ियां, पीले फूल अर्पित करें। पूजा में ऊं स्कंदमात्रै नम: का जाप करते रहें। मां स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय हैं। खीर में केसर डालकर भी नेवैद्य लगाया जा सकता हैं। मां स्कंदमाता के मंत्रों का जाप करें और आरती के बाद 5 कन्याओं को केले का प्रसाद बांटें। मान्यता हैं कि, इससे देवी स्कंदमाता बहुत प्रसन्न होती हैं, और संतान पर आने वाले सभी संकटों का नाश करती हैं। संतान हर कठिनाईयों को आसानी से पार करने में सक्षम बनता हैं।

प्रिय रंग – पीला
प्रिय भोग – केला
मां स्कंदमाता का मंत्र (Maa Skandmata Mantra)

ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

पंचमी को लगाएं खीर और केले का भोग


श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां की पांचवीं विश्वरूप स्कंदमाता को केले और खीर का भोग लगाना चाहिए। जिससे माता प्रसन्न होकर भक्तों द्वारा मांगी गई सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं। वहीं, मध्य रात्रि में माता का पूजा करना विशेष फलदायी रहता हैं। रात्रि के वक्त विशेष अनुष्ठान करते हुए माता के नवार्ण मंत्र का जाप करना चाहिए।