फ़टाफ़ट डेस्क:- महाशिवरात्रि (mahashivratri 2023) इस बार 18 फरवरी दिन शनिवार को पड़ रही हैं। भगवान भोलेनाथ की आराधना का विशेष दिन महाशिवरात्रि को माना जाता हैं। छत्तीसगढ़ में कई शिव धाम हैं। जहाँ महाशिवरात्रि के दिन बड़ी संख्या में लोग भगवान के दर्शन करने पँहुचते हैं। आज हम छत्तीसगढ़ के ही नही बल्कि विश्व के सबसे बड़े शिवलिंग के बारे में बताने जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 90 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिला मुख्यालय से 3 किमी दूर ग्राम मरौदा में पहाड़ियों के बीच में स्थित हैं। भूतेश्वर महादेव का मंदिर कहा जाता है कि यह विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग है। शिवलिंग के साइज में लगातार वृद्धि होती रही हैं। वर्तमान में इस शिवलिंग का आकार 80 फीट लंबा और 230 फीट चौड़ा है।
ऐसी मान्यता कि जो भक्त महाशिवरात्रि के दिन इस शिवलिंग का दर्शन कर लेता है। उसके सभी मनोकामना पूर्ण हो जाते हैं। अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय सा दिखने वाला यह शिवलिंग भक्तों की आस्था का खास केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन इस शिवलिंग का दर्शन कर लेने मात्र से भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं। वहीं यह भी मान्यता है कि जो भक्त महाशिवारात्रि के दिन यहां महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए महादेव का जलाभिषेक कर सच्चे मन से अपनी मुराद मांगते हैं। उनकी मुराद भगवान भोलेनाथ अवश्य पूर्ण करते हैं।
ऐसा बताया जाता है कि, आज से सैकड़ो साल पहले जब जमींदारी प्रथा थी उस समय गरियाबंद जिले के पारा गांव निवासी जमींदार शोभासिंह जब अपने खेत की तरफ जाते थे। तो उन्हें खेत के पास स्थित एक टीले से साड़ और शेर की आवाज सुनाई देती थी। गांव वाले जब वहां जाते तो उन्हें वहां कोई भी नजर नहीं आता था। जिसके बाद गांव वालों ने इस टीले को भगवान शंकर के शिवलिंग का रूप मान लिया। तब से इस शिवलिंग की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग के आकार में हमेशा वृद्धि होती है। शिवलिंग पर एक हल्की सी दरार है। जिससे भक्त इन्हें अर्धनारीश्वर के रूप में मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।