सूर्यदेव को जल क्यों चढ़ाया जाता हैं? जानिए

अध्यात्म डेस्क. सनातन धर्म में सभी देवताओं का अपना महत्व और स्थान होता है लेकिन कभी आपने सोचा है की करोड़ों देवी-देवताओं में कौन शीर्ष है और कौन नीचे? क्या देवताओं का भी कोई क्रम निर्धारित है? धार्मिक शास्त्रों में सूर्य देव का अहम स्थान बताया गया है। सूर्य देव को गुरु की उपाधि दी गई है और इनको नवग्रहों का राजा कहा जाता है।आज सूर्य देव की वजह से ही हमारी पृथ्वी पर जीवन संभव है। भगवान सूर्य देव को लेकर ग्रंथ-पुराणों में विभिन्न उल्लेख मिलते हैं। आइए जानते हैं देवी-देवताओं में सूर्य देव का कौन सा स्थान है और किस दिन की जाती है इनकी पूजा।

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सूर्य देव का स्थान सर्वोपरि

एक रिपोर्ट में पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, भगवान सूर्य देव को पंचदेव में स्थान प्राप्त है। पंचदेव में भगवान गणेश, दुर्गा, शिव, विष्णु और सूर्य देव शामिल हैं। सनातन धर्म में इन देवताओं की सबसे पहले पूजा का विधान है। ऐसे में सूर्य को सभी देवताओं में विशेष स्थान प्राप्त है। हिंदू धर्म के अनुसार, सूर्य देव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से पंचदेव की आराधना करता है, उसको यश-पुण्य और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सूर्य देव वायु तत्व के अधिपति हैं, इसलिए अर्घ्य और नमस्कार करके इनकी आराधना का विधान है।

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सूर्य देव की उपासना क्यों की जाती हैं?

धार्मिक शास्त्रों में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। सूर्य देव तेज, यश, वैभव और सकारात्मक शक्ति के देवता के प्रतीक हैं, इसलिए सूर्य देव की पूजा से मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य की पूजा के लिए निर्धारित है। प्रत्येक रविवार को सूर्य देव को अर्घ्य देने और नमस्कार करने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। रोगों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है, इसलिए प्रत्येक दिन सूरज को जल अर्पित कर आराधना करनी चाहिए।