फ़टाफ़ट डेस्क. आज सकट चौथ है, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ से भगवान गणेश जीवन में सभी तरह बाधाएं को दूर करते हैं। माघ महीने की सकट चौथ व्रत मुख्य रूप से महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता ये भी है कि भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा सकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। महिलाएं इस दिन अपने संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु का कामना के सकट चौथ का निर्जला व्रत रखा जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि गणेश चौथ पर भगवान गणेश की जन्म हुआ था। संकष्टी गणेश चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ या माघी चौथ भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में स्त्रियों के ऐसे अनेक व्रत और त्योहार होते हैं। जिनमें दिनभर उपवास के बाद रात्रि में जब चंद्रमा उदय हो जाता है। तब चंद्रदेव को अर्घ्य देकर और पूजा करके ही अन्न-जल ग्रहण किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य व दीर्घायु होने की मंगल कामना से करती हैं।
अर्घ्य देते हुए ये बात रखें ध्यान
सकट चौथ व्रत के दौरान भगवान गणेश की पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। ऐसे में जब भी आप चंद्रमा को अर्घ्य दें, तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि अर्घ्य के दौरान आपके पैरों में जल के छींटे न पड़ें।