फ़टाफ़ट डेस्क. साल का पहला चंद्र ग्रहण आज लगने जा रहा हैं। भारतीय समय के अनुसार यह चंद्र ग्रहण आज रात 08 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा जो देर रात 01 बजकर 01 मिनट पर खत्म होगा। यह एक उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, जिसे पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण भी कहते हैं। 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का एक साथ दुर्लभ संयोग हैं। यह चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लग रहा हैं। इसके पहले 20 अप्रैल को भी साल का पहला सूर्य ग्रहण लग चुका हैं। इसके बाद साल 2023 का दूसरा ग्रहण 28 अक्तूबर 2023 को होगा।
12 साल बाद चंद्र ग्रहण पर बना दुर्लभ संयोग–
आज होने वाला यह चंद्रग्रहण बहुत ही दुर्लभ योग में योग होगा, दरअसल 12 साल के बाद इस चंद्र ग्रहण पर चतुर्ग्रही योग का निर्माण होगा। यह ग्रहण लगभग 4 घंटे 15 मिनट तक चलेगा। आज होने वाले इस चंद्र ग्रहण पर बुध, सूर्य, गुरु और राहु मिलकर चतुर्ग्रही योग का निर्माण करेंगे। 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण का एक साथ दुर्लभ संयोग है। यह चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लग रहा हैं। (Lunar Eclipse 2023)
आज के चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नही-
आज रात को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। इस ग्रहण की शुरूआत आज रात करीब 08 बजकर 45 मिनट से शुरू हो जाएगा। यह ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह चंद्र ग्रहण एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। जिसमें चांद के आकार में किसी भी तरह का बदलाव नहीं देखने को मिलेगा। इसमें चांद के ऊपर हल्की सी धूल भरी आंधी के रूप चांद दिखाई देगा।
क्या होता हैं पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण?
चंद्र ग्रहण तीन तरह का होता है पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण और तीसरा पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण। खगोल शास्त्र के अनुसार जब भी चंद्र ग्रहण लगता है तो ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है। इसे अग्रेंजी भाषा में पेनुमब्र कहते हैं। यह न तो पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है और न ही आंशिक चंद्र ग्रहण बल्कि इसमें चंद्रमा की छाया न पड़कर एक उपछाया पड़ती है। जिसमें चांद पर एक धुंधली सी परछाई नजर आती है। पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण की घटना के दौरान चांद के आकार में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिलता है। पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूरी तरह से आम दिनों की तरह ही दिखाई देता है लेकिन चांद का रंग हल्का सा मटमैला रंग सा दिखाई पड़ता है। इसे पेनुमब्रल चंद्र ग्रहण या उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं।
चंद्रग्रहण के दौरान करें इन मंत्रों का जाप–
चंद्र ग्रहण के दौरान गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा आप चंद्र ग्रहण के दौरान आप माता बगलामुखी के मंत्र का जाप कर सकते हैं। ॐ ह्री बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय। चंद्र ग्रहण के दौरान आप चंद्र देव के मंत्र ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नमः का जाप करें। चंद्र ग्रहण के दौरान शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए।
चंद्र ग्रहण पर क्या करें ये उपाय-
चंद्र ग्रहण धार्मिक लिहाज से शुभ नहीं माना जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान चांद की किरणें दूषित अवस्था में पृथ्वी तक पहूंचती हैं। ऐसे में चंद्र ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिए ग्रहण के दौरान अपने ईष्ट देव की आराधना करना चाहिए। साथ ही भगवान शिव और चंद्रदेव के मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए। इस दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य या पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए। ग्रहण में सूतक काल लगने पर मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।