
Holi 2025: होलिका को भले ही आप एक नकारात्मक पात्र के रूप में देखते हों, लेकिन इनके प्रेम जीवन की कहानी आपको चौंका सकती है। टीवी सीरियल और फिल्मों में इनके चरित्र को भले ही बेहद आक्रामक बताया गया हो, लेकिन कुछ लोगों के लिए ये आज भी प्रेम की देवी हैं। आज हम आपको होलिका और उनके प्रेमी इलोजी की कहानी बताने वाले हैं। इस कहानी को जानकर आप भी होलिका को एक राक्षसी नहीं एक देवी मानने के लिए तैयार हो जाएंगे।
होलिका और इलोजी की प्रेम कहानी
होलिका और इलोजी प्रेमी-प्रेमिका थे और इन दोनों ने शादी करने का भी निश्चय कर लिया था। हालांकि, होलिका के भाई हिरण्यकशिपु के कारण इनकी प्रेम कहानी शादी के बंधन में नहीं बंध पायी। दरअसल होलिका और इलोजी ने जिस दिन विवाह करने का निश्चय किया था उसी दिन होलिका के भाई हिरण्यकश्यप ने उन्हें बुलावा भेजा। भाई का बुलावा पाकर बहन बेहद खुश भी हुई। होलिका को लगा कि भाई विवाह से जुड़ी कोई बात कहेंगे। हालांकि हुआ इसके बिल्कुल अलग।
होलिका जब अपने भाई के पास पहुंची तो उसे हिरण्यकशिपु ने प्रह्नाद के साथ अग्नि में बैठने को कहा। प्रह्राद को मारने के कई नाकाम प्रयासों के बाद हिरण्यकशिपु ने ये निर्णय लिया था। होलिका अग्निदेव की परम उपासक थी और उसे अग्निदेव से एक ऐसा वस्त्र मिला था जो अग्नि के भीषण ताप को भी आसानी से सहन कर सकता था। इसी वजह से होलिका के भाई ने प्रह्नाद को मारने के लिए होलिका को चुना था। हालांकि, इस बारे में जानकर होलिका को बहुत क्रोध आया और उसने ऐसा करने से मना किया। इसके बाद हिरण्यकशिपु ने होलिका को धमकी दी कि अगर वो ऐसा नहीं करेगी तो उसके प्रेमी को मार दिया जाएगा। इसके बाद न चाहते हुए भी होलिका को अग्नि में प्रह्लाद के साथ बैठना पड़ा।
इसलिए अग्नि में जल गई होलिका
होलिका जब प्रह्लाद के साथ अग्नि ज्वाला के बीच बैठी तो भगवान की कृपा से हवा का झोंका चला और अग्निदेव के द्वारा दिया जो वस्त्र होलिका ने ओढ़ा था वो प्रह्लाद के ऊपर जा गिरा। होलिका उस वस्त्र को प्रह्लाद के ऊपर से हटाकर वापस अपने ऊपर डाल सकती थी, लेकिन प्रह्लाद से होलिका बेहद स्नेह करती थी इसलिए उसने ऐसा नहीं किया। इसके बाद प्रह्लाद अग्नि ज्वालाओं से बच गया और होलिका की मृत्यु हो गई। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि होलिका ने स्वयं अग्निदेव का दिया वस्त्र प्रह्लाद को ओढ़ाया था, क्योंकि वो अपने पुत्र के समान भतीजे के मृत्यु का कारण नहीं बनना चाहती थी।
इलोजी जी ने त्याग दिया सब कुछ
माना जाता है कि अग्नि में होलिका के राख हो जाने के बाद इलोजी हिरण्यकशिपु के पास पहुंचा। उसे जब सारी बात पता चली तो वो पागलों की तरह राख और लकड़ियों को इधर-उधर फेंकने लगा। इलोजी अपना मानसिक संतुलन खो चुका था। कहते हैं कि इसके बाद इलोजी ने अपना सारा जीवन वन में बंजारों की तरह गुजारा था।
इस राज्य में आज भी होलिका है प्रेम की देवी
होलिका ने अपने प्रेमी इलोजी को बचाने के लिए प्रह्वाद के साथ अग्नि में बैठने की बात स्वीकार की थी। वहीं प्रह्लाद को जलने से बचाने के लिए अग्निदेव का दिया वस्त्र प्रह्लाद के ऊपर से नहीं उठाया। यानि प्रेम और स्नेह को ऊपर रखते हुए अपने प्राणों की आहुति होलिका ने दे दी। इसीलिए हिमाचल प्रदेश में आज भी लोग इन्हें प्रेम की देवी के रूप में याद करते हैं। आज भी हिमाचल के लोग होलिका से जुड़ी कई कहानियों का जिक्र आने वाली पीढ़ी से करते हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। फटाफट न्यूज एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)