हिंदू नववर्ष : जानें इसका इतिहास और महत्व…

आध्यात्म डेस्क. वैसे तो दुनिया भर में नया साल 1 जनवरी को ही मनाया जाता है लेकिन भारतीय कैलेंडर के अनुसार नया साल 1 जनवरी से नहीं बल्कि चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से होता है. इसे नव संवत्सर भी कहते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अक्सर मार्च-अप्रैल के महीने से आरंभ होता है. दरअसल भारतीय कैलेंडर की गणना सूर्य और चंद्रमा के अनुसार होती है. माना जाता है कि दुनिया के तमाम कैलेंडर किसी न किसी रूप में भारतीय कैलेंडर का ही अनुसरण करते हैं. मान्यता तो यह भी है कि विक्रमादित्य के काल में सबसे पहले भारतीयों द्वारा ही कैलेंडर यानि कि पंचाग का विकास हुआ. इसना ही 12 महीनों का एक वर्ष और सप्ताह में सात दिनों का प्रचलन भी विक्रम संवत से ही माना जाता है. कहा जाता है कि भारत से नकल कर युनानियों ने इसे दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैलाया.

सप्तर्षि संवत है सबसे प्राचीन


माना जाता है कि विक्रमी संवत से भी पहले लगभग सड़सठ सौ ई.पू. हिंदूओं का प्राचीन सप्तर्षि संवत अस्तित्व में आ चुका था. हालांकि इसकी विधिवत शुरूआत लगभग इक्कतीस सौ ई. पू. मानी जाती है. इसके अलावा इसी दौर में भगवान श्री कृष्ण के जन्म से कृष्ण कैलेंडर की शुरुआत भी बतायी जाती है. तत्पश्चात कलियुगी संवत की शुरुआत भी हुई.

विक्रमी संवत या नव संवत्सर


विक्रम संवत को नव संवत्सर भी कहा जाता है. संवत्सर पांच तरह का होता है जिसमें सौर, चंद्र, नक्षत्र, सावन और अधिमास आते हैं. विक्रम संवत में यह सब शामिल रहते हैं. हालांकि विक्रमी संवत के उद्भव को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं लेकिन अधितर 57 ईसवीं पूर्व ही इसकी शुरुआत मानते हैं.

सौर वर्ष के महीने 12 राशियों के नाम पर हैं इसका आरंभ मेष राशि में सूर्य की संक्राति से होता है. यह 365 दिनों का होता है. वहीं चंद्र वर्ष के मास चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ आदि हैं इन महीनों का नाम नक्षत्रों के आधार पर रखा गया है. चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है इसी कारण जो बढ़े हुए दस दिन होते हैं वे चंद्रमास ही माने जाते हैं. लेकिन दिन बढ़ने के कारण इन्हें अधिमास कहा जाता है. नक्षत्रों की संख्या 27 है. इस प्रकार एक नक्षत्र मास भी 27 दिन का ही माना जाता है. वहीं सावन वर्ष की अवधि लगभग 360 दिन की होती है. इसमें हर महीना 30 दिन का होता है.

हिंदू नव वर्ष का महत्व


भले ही आज अंग्रेजी कैलेंडर का प्रचलन बहुत अधिक हो गया हो लेकिन उससे भारतीय कलैंडर की महता कम नहीं हुई है. आज भी हम अपने व्रत-त्यौहार, महापुरुषों की जयंती-पुण्यतिथि, विवाह व अन्य शुभ कार्यों को करने के मुहूर्त आदि भारतीय कलैंडर के अनुसार ही देखते हैं. इस दिन को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो आंध्र प्रदेश में उगादी पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही वासंती नवरात्र की शुरुआत भी होती है. एक अहम बात और कि इसी दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी अत: कुल मिलाकर कह सकते हैं कि हिंदू नव वर्ष हमें धूमधाम से मनाना चाहिये.

कब आरंभ होगा हिन्दू नव वर्ष..

नवरात्रि के शुरू होने के साथ ही नया हिंदू विक्रम संवत् 2077 आरंभ हो जाएगा. जो कि इस वर्ष 25 मार्च से आरंभ होना है. चैत्र का महीना हिंदू कैलेंडर का पहला महीना होता है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार नए संवत्सर में 2 आश्विन महीने होंगे। गणना के अनुसार आश्विन का महीना 3 सितंबर से 31 अक्टूबर तक रहेगा. जिसमें एक माह का समय अधिमास रहेगा. अधिमास होने से इस बार के त्योहारों में कई बदलाव देखने को मिलेंगे.