Ganesh Utsav 2024 : विभीषण ने यहाँ किया था गणेश पर वार , जानें रावण वध की रहस्यमयी कथा, इन चमत्कारी मंदिर में दर्शन से दुःख होते हैं दूर

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Ganesh Utsav 2024, Ganeshotsav 2024, Ganesh Chaturthi 2024, Ucchi Pillayar Temple : हमारे देश में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी कहानियाँ और रहस्य आम लोगों की समझ से परे हैं। इन मंदिरों की अद्भुत वास्‍तुशिल्‍पा, पौराणिक कथाएँ और मान्यताएँ हमें हमेशा अचंभित कर देती हैं।

आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमयी गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली (त्रिचि) में स्थित है। यह मंदिर ‘उच्ची पिल्लयार मंदिर’ के नाम से जाना जाता है।

उच्ची पिल्लयार मंदिर का अद्भुत स्थान और निर्माण

उच्ची पिल्लयार मंदिर भगवान गणेश का एक प्रमुख मंदिर है जो रॉक फोर्ट पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए 273 फीट ऊँचाई पर चढ़ाई करनी पड़ती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 400 से भी अधिक सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। इस कठिन चढ़ाई के बावजूद, यहाँ का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है और यहाँ से पूरे तिरुचिरापल्ली का सुंदर नजारा देखा जा सकता है।

विभीषण और गणेशजी की कथा

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा बेहद दिलचस्प है। माना जाता है कि रावण के वध के बाद भगवान राम ने अपने भक्त और रावण के भाई विभीषण को भगवान विष्णु के एक रूप, रंगनाथ की मूर्ति दी थी। विभीषण को यह मूर्ति लेकर लंका जाना था, लेकिन श्रीराम ने उसे निर्देशित किया कि मूर्ति को लंका पहुँचाने से पहले इसे कहीं भी जमीन पर न रखें।

विभीषण मूर्ति को लेकर यात्रा पर निकला और जब वह तिरुचिरापल्ली पहुँचा, तो उसने कावेरी नदी में स्नान करने का मन बनाया। उस समय भगवान गणेश एक बालक के रूप में वहाँ उपस्थित हुए। विभीषण ने उस बालक को मूर्ति थमा दी और उसे आदेश दिया कि मूर्ति को जमीन पर न रखें। विभीषण के चले जाने के बाद गणेशजी ने मूर्ति को जमीन पर रख दिया। जब विभीषण वापस आया, तो उसने देखा कि मूर्ति जमीन पर रखी है और उसे उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मूर्ति हिली भी नहीं। इस पर विभीषण को गुस्सा आया और उसने बालक पर हमला करने की कोशिश की।

गणेशजी की मूर्ति पर चोट का निशान

गणेशजी उस समय पर्वत की चोटी पर पहुँच गए और वहाँ ठहर गए। विभीषण ने जब गणेशजी को देखा, तो उसने गुस्से में उनके सिर पर वार कर दिया। तब गणेशजी ने अपनी वास्तविक रूप में दर्शन दिए। विभीषण ने क्षमा याचना की और वहाँ से चले गए। तब से गणेशजी इस पर्वत की चोटी पर ‘उच्ची पिल्लयार’ के रूप में प्रतिष्ठित हैं। आज भी भगवान गणेश की मूर्ति पर उस चोट का निशान देखा जा सकता है, जिसे विभीषण के वार से माना जाता है।

उच्ची पिल्लयार मंदिर का धार्मिक महत्व

इस मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इसे केवल भगवान गणेश का ही नहीं, बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती के वास स्थल के रूप में भी माना जाता है। प्राचीन काल में इसे ‘थिरिसिरपुर’ कहा जाता था, जहाँ राक्षस थिरिसिरन ने भगवान शिव की तपस्या की थी। इस स्थान को बाद में ‘थिरि-सिकरपुरम’ और फिर ‘थिरिसिरपुरम’ नाम दिया गया।

उच्ची पिल्लयार मंदिर की पौराणिक कथा और उसकी रहस्यमयी विशेषताएँ इसे एक अनूठा और आकर्षक स्थल बनाती हैं। इस मंदिर की यात्रा करते समय श्रद्धालु न केवल भगवान गणेश के दर्शन करते हैं।