Ganesh Utsav 2024 : यह है दुनिया का पहला गणेश मंदिर! 1580 फीट की ऊंचाई पर विराजते हैं गणपति, शादी का कार्ड भेजने के साथ शुरू होते हैं शगुन कार्य, जानें बप्पा के मंदिर की खास बात

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Ganeshutsav 2024, Ganesh Utsav 2024, Ganesh Chaturthi 2024, Chintaman Temple, Trinetra Ganesh Ranthambhor : गणेश चतुर्थी की शुरुआत 7 सितम्बर से हो रही है ऐसे में आज गणेश जी के प्रसिद्द मंदिर की बात करेंगे। रणथंभौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर न केवल भारत का बल्कि विश्व का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। इस मंदिर में गणेश जी की त्रिनेत्री प्रतिमा विराजमान है, जो स्वयंभू प्रकट है। इस मंदिर की विशेषता इसे अन्य गणेश मंदिरों से अलग बनाती है। इस मंदिर के बारे में जानकर आपको इसकी अद्वितीयता और ऐतिहासिक महत्व का अहसास होगा।

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मंदिर की विशेषताएँ और मान्यताएँ

त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथंभौर किले में अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों के बीच 1579 फीट ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ गणेश जी की त्रिनेत्री प्रतिमा विराजमान है, जिसमें तीसरे नेत्र का प्रतीक ज्ञान और बोध का प्रतीक माना जाता है। पूरे विश्व में यह एकमात्र मंदिर है जहाँ गणेश जी अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं – उनकी दो पत्नियाँ, रिद्धि और सिद्धि, और दो पुत्र, शुभ और लाभ के साथ। यह विशेषता इसे अन्य गणेश मंदिरों से अलग बनाती है।

इतिहास और मान्यता

रणथंभौर किला ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। 1299-1301 ईस्वी के दौरान, महाराजा हम्मीरदेव चौहान और दिल्ली शासक अलाउद्दीन खिलजी के बीच युद्ध हुआ। इस दौरान, रणथंभौर किला दुश्मनों द्वारा घेर लिया गया था और किले में राशन सामग्री समाप्त होने लगी थी। इसी समय गणेश जी ने महाराजा हम्मीरदेव चौहान को स्वप्न में दर्शन दिए और निर्देशित किया कि वह वहां पूजा करें जहां आज गणेश जी की प्रतिमा स्थित है। जब हमीरदेव वहां पहुँचे, तो उन्हें वहां स्वयंभू प्रकट गणेश जी की प्रतिमा मिली, और उन्होंने वहीं मंदिर का निर्माण कराया।

मंदिर की इस विशेषता के कारण इसे भारत का पहला गणेश मंदिर कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान राम ने लंका कूच से पहले गणेश जी के त्रिनेत्र रूप का अभिषेक किया था। इसके अलावा, द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने गणेश जी को अपने विवाह में बुलाना भूल गए थे। गणेश जी के वाहन मूषकों ने कृष्ण के रथ के चारों ओर खोदकर उनकी गलती का अहसास कराया। इसके बाद गणेश जी को हर मंगल कार्य से पहले पूजा जाने लगा। यह मान्यता भी रणथंभौर से जुड़ी है, जिससे इसे भारत का पहला गणेश मंदिर माना जाता है।

मेला और धार्मिक गतिविधियाँ

त्रिनेत्र गणेश मंदिर में भाद्रपद शुक्ल की चतुर्थी को विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों भक्त गणेश जी के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं। इस दौरान पूरा इलाका गजानन के जयकारों से गूंज उठता है। मंदिर की परिक्रमा लगभग 7 किलोमीटर के क्षेत्र में होती है और जयपुर से इसकी दूरी करीब 142 किलोमीटर है।

प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन

रणथंभौर गणेश मंदिर रणथंभौर टाइगर रिजर्व एरिया में स्थित है, जहाँ की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है। बारिश के दौरान यहाँ कई स्थानों पर झरने फूट पड़ते हैं, और पूरा इलाका रमणीय हो जाता है। किला संरक्षित धरोहर है और यहाँ गणेश जी के मेले के दौरान भक्तों की आस्था और उत्साह देखते ही बनता है।