Ganesh Utsav 2024 : लालबागचा राजा को कहा जाता है “मन्नतों का घर” पूरी होती है मनोकामना, बप्पा करते हैं बेडा पार, जानें 90 वर्षों का गौरवमयी इतिहास

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Ganesh Chaturthi 2024, Ganeshotsav, Lalbaughcha Raja, Ganesh Utsav 2024 : 2024 में भी गणेश उत्सव अपनी पूरी भव्यता और उल्लास के साथ मनाया जाना है। इस उत्सव का विशेष आकर्षण “लालबागचा राजा” है, जो न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश में सबसे प्रसिद्ध गणेश पंडालों में से एक माना जाता है। लालबागचा राजा की मूर्ति की ऊंचाई लगभग 18-20 फीट होती है

“लालबागचा राजा” को मन्नत का राजा भी कहा जाता है, और यह माना जाता है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मुराद बप्पा पूरी होती है। यह पंडाल दक्षिण मुंबई के परेल इलाके में स्थित है और यहां हर साल प्रतिमा की सुरक्षा के लिए करोड़ों का बीमा किया जाता है।

90 वर्षों का गौरवमयी इतिहास

लालबागचा राजा पंडाल का 90वां साल है। इसका इतिहास 1934 से शुरू होता है, जब सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना की गई थी। यह पंडाल दक्षिण मुंबई के परेल इलाके में स्थित है और यहां हर साल गणपति प्रतिमा की सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपए का बीमा किया जाता है। लालबागचा राजा की मूर्ति की ऊंचाई लगभग 18-20 फीट होती है, और इस मूर्ति को कांबली जूनियर द्वारा बनाया गया है।

स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक युग तक

लालबागचा राजा का इतिहास ब्रिटिश शासन के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए लोकमान्य तिलक द्वारा शुरू किए गए सार्वजनिक गणेशोत्सव से जुड़ा हुआ है। उस समय, गणेशोत्सव केवल धार्मिक कार्यों तक सीमित नहीं था; इसमें स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा की जाती थी। 1900 के दशक की शुरुआत में, इस क्षेत्र में 130 कपास मिलें थीं, जिनके बंद होने से विक्रेताओं और मछुआरा समुदाय की आजीविका प्रभावित हुई थी। लोगों ने भगवान गणेश से उनकी सहायता की प्रार्थना की और 1934 में गणेश मूर्ति की स्थापना की गई। मछुआरों की पोशाक में गणेश की मूर्ति इलाके के संरक्षक देवता बन गए।

भव्य उत्सव और श्रद्धालुओं की भीड़

लालबागचा राजा की पूजा में शामिल होने के लिए हर साल देश-विदेश से भक्त आते हैं। यहां भक्तों की लंबी कतारें लगी रहती हैं, और कभी-कभी ये कतारें 40 घंटे से भी अधिक समय तक प्रतीक्षा करती हैं। विशेष रूप से, यहां दो मुख्य कतारें होती हैं – नवसाची लाइन और मुख दर्शनाची लाइन। नवसाची लाइन के माध्यम से भक्त मंच पर जाकर भगवान गणेश के पैर छू सकते हैं और उनकी इच्छाओं के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मुख दर्शनाची लाइन के माध्यम से भक्त थोड़ी दूरी से मूर्ति को देख सकते हैं।

कैसे पहुंचे और दर्शन का अनुभव

लालबागचा राजा के दर्शन के लिए मुंबई में कई लोकल ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। चिंचपोकली या बायकुला स्टेशन के लिए लोकल ट्रेन पकड़कर आप आसानी से लालबागचा राजा पहुंच सकते हैं।

मुख दर्शन कतार के लिए सेंट्रल लाइन पर रानी बाग या हार्बर रेलवे पर कॉटन ग्रीन स्टेशन से भी पहुंचा जा सकता है। नवसाची दर्शन लाइन के लिए भक्त सेंट्रल लाइन पर करी रोड स्टेशन या पश्चिमी रेल लाइन पर लोअर परेल स्टेशन से आ सकते हैं।

आप 10 दिनों तक प्रतिदिन दोपहर 12:30 बजे और रात 8 बजे भव्य और आध्यात्मिक आरती देख सकते हैं। यह जानना दिलचस्प है कि देश में सबसे लंबा विसर्जन जुलूस मुंबई के लालबागचा राजा में आयोजित किया जाता है। विसर्जन प्रक्रिया सुबह 10 बजे शुरू होती है और अगली सुबह समाप्त होती है। अंधेरीचा राजा का विसर्जन जुलूस इस मामले में दूसरा सबसे लंबा होता है।

समापन समारोह

गणेशोत्सव के अंतिम दिन, जब गणेश मूर्ति का विसर्जन किया जाता है, तो पूरे मुंबई में एक विशेष माहौल होता है। विसर्जन जुलूस भव्य और रंगीन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त, कलाकार, और लोग शामिल होते हैं। यह जुलूस पूरे मुंबई में धूमधाम से निकाला जाता है और इसमें हर तरफ बप्पा की जयकारें लगती हैं। लालबागचा राजा का विसर्जन जुलूस, जो पूरे देश में प्रसिद्ध है, अपने भव्य और अनुशासित तरीके के लिए जाना जाता है।

गणेशोत्सव के दौरान मुंबई का लालबागचा राजा एक ऐसी जगह बन जाता है जहां भक्तों की आस्था, भक्ति, और उत्सव की धूम-धाम का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह पंडाल मुंबई की सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि का प्रतीक बन चुका है।