Ganesh Chaturthi 2024: देवभूमि उत्तराखंड में कई पौराणिक मंदिर हैं, जो अपने इतिहास और महत्ता के लिए प्रसिद्ध हैं। पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में भी एक ऐसा ही पौराणिक गणेश मंदिर है, जिसकी अपनी एक अलग महत्ता है। यह मंदिर श्रीनगर गढ़वाल का एकमात्र गणेश मंदिर है। इस मंदिर की महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि श्रीनगर का एक बड़ा बाजार गणेश बाजार के नाम से जाना जाता है। गणेश मंदिर की स्थापना 1896 में की गई थी। श्रीनगर में अधिकांश मंदिर ऐसे हैं, जिनकी स्थापना पुराने श्रीनगर के बाद नए श्रीनगर में की गई और यह मंदिर भी उन्हीं में से एक है। इस मंदिर के प्रति लोगों की अटूट आस्था है।
गणेश मंदिर के पुजारी रामकिशन पांडे ने बताया कि भगवान गणेश का मंदिर पहले पुराने श्रीनगर में स्थित था लेकिन विरही ताल टूटने से बाढ़ आने के बाद मंदिर बह गया था। केवल मूर्ति ही बच पाई थी, जिसके बाद नए श्रीनगर में मंदिर का निर्माण कर मूर्ति को वहां स्थापित किया गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भोलेनाथ ने गणेश को अपने गणों का अध्यक्ष बनाया था, तभी से यहां गणेश भगवान की पूजा होती आ रही है। गणेश मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि इसके पास के बाजार का नाम भी गणेश बाजार रखा गया है। भगवान गणेश का पौराणिक मंदिर होने के कारण भक्त दूर-दूर से यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
शुभ कार्य से पहले होती है पूजा
देवताओं में गणेश भगवान की पूजा सबसे पहले होती है, इसलिए हर त्योहार और हर दिन लोग गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। किसी भी शुभ कार्य के शुरू होने से पहले लोग गणेश मंदिर में पूजा अवश्य करते हैं। गणेश महोत्सव भी यहां बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। शिवरात्रि, जन्माष्टमी और शंकर चौथ के दिन यहां पूजा-अर्चना करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस साल 7 सितंबर से गणेश महोत्सव शुरू होगा और मंदिर में रामकथा का आयोजन किया जाएगा।
कैसे पहुंचे गणेश मंदिर तक?
गणेश मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से होते हुए नगर पालिका तिराहे की ओर मुड़ते हैं, जहां से गणेश बाजार की शुरुआत होती है। गणेश बाजार से होकर आगे बढ़ते हुए गणेश मंदिर तक पहुंच सकते हैं। गणेश मंदिर के कारण इस क्षेत्र का नाम भी गणेश बाजार पड़ गया है, जिससे भक्तों को मंदिर तक पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होती है।
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है। किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है। ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है। बताई गई किसी भी बात का फटाफट न्यूज व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है।)