Ganeshutsav 2024, Ganesh Utsav, Ganesh Chaturthi 2024, Khajrana Temple : भगवान गणेश को उनकी पूजा और महिमा हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर भक्तों द्वारा भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गणेश जी को बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य का देवता माना जाता है और उनके आशीर्वाद से भक्तों की सभी समस्याएं दूर होती हैं।
इन मंदिरों में एक प्रमुख और विशेष मंदिर है, जो मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित खजराना गणेश मंदिर है। इस मंदिर के बारे में एक विशेष मान्यता है कि यहां मनोकामना पूर्ति के लिए उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है। आइए, इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
मंदिर की स्थिति और इतिहास
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के विजयनगर क्षेत्र में खजराना चौक पर स्थित खजराना गणेश मंदिर, अपनी पुरानी परंपराओं और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना है और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख पूजा स्थल है। इंदौर की यात्रा करने वाले भक्त रेल और हवाई मार्ग से आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं। मंदिर के चारों ओर भक्तों की सुविधाओं के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं।
आक्रांता और औरंगजेब से रक्षा
खजराना गणेश मंदिर की कहानी ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी दिलचस्प है। मंदिर के मुख्य पुजारी, पंडित अशोक भट्ट के अनुसार, इस मंदिर में भगवान गणेश की स्वयंभू मूर्ति है, जिसे मुग़ल आक्रांता औरंगजेब से बचाने के लिए एक कुएं में छिपा दिया गया था। औरंगजेब ने हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने का प्रण लिया था, और इसीलिए गणेश की प्रतिमा को कुएं में छुपाया गया था।
देवी अहिल्याबाई होल्कर का योगदान
जब इंदौर में देवी अहिल्याबाई होल्कर का शासन स्थापित हुआ, तो उन्होंने इस प्रतिमा को खोज निकाला। देवी अहिल्याबाई होल्कर अपनी भक्ति और मंदिरों के पुनर्निर्माण के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने भगवान गणेश की प्रतिमा को कुएं से बाहर निकाला और 1735 ईस्वी में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर आज भी खजराना गणेश मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।
मंदिर का धार्मिक महत्व
खजराना गणेश मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। यहाँ भगवान गणेश की लाल मूर्ति स्थापित है, जो सिंदूर से निर्मित मानी जाती है। मंदिर में अन्य देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं, जैसे मां दुर्गा, शिवलिंग, हनुमान जी, मां लक्ष्मी और मां गंगा। मां गंगा की प्रतिमा मगरमच्छ पर सवार है।
उल्टा स्वास्तिक बनाने की मान्यता
मंदिर में एक अनोखी मान्यता है कि भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं। स्वास्तिक का उल्टा प्रतीक विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने और इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए माना जाता है। भक्त अपनी इच्छाएं भगवान गणेश के सामने प्रकट करते हैं और उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं। मान्यता है कि इस प्रक्रिया के कुछ दिनों बाद उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है, तो भक्त पुनः मंदिर जाकर गणेश जी का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और दीवार पर सीधा स्वास्तिक बनाते हैं।
खजराना गणेश मंदिर, इंदौर के धार्मिक और ऐतिहासिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस मंदिर की दिव्य महिमा, उल्टा स्वास्तिक बनाने की मान्यता और देवी अहिल्याबाई होल्कर की भक्ति से जुड़ी कहानी इसे विशेष बनाती है। यह मंदिर भक्तों को न केवल धार्मिक आशीर्वाद प्रदान करता है, बल्कि इतिहास की एक अमूल्य झलक भी देता है।