क्या आप जानते हैं शिवरात्रि औऱ महाशिवरात्रि में अंतर? महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?

अध्यात्म डेस्क. महाशिवरात्रि क्या है?क्यों मनाते हैं? वर्ष में कितने शिवरात्रि होते हैं? फाल्गुन मास के शिवरात्रि को महाशिवरात्रि क्यों कहते हैं? इस तरह के कई प्रश्न और शंका आप सभी के मन मे भी आ रहा होगा, आईये इस शंका का समाधान करते है।

महाशिवरात्रि क्यों मनाते हैं?

पौराणिक, धार्मिक और दंत कथाओं की मान्यताओं के अनुसार, सम्पूर्ण भारत भूमि के अलग अलग क्षेत्रो में
महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसी दिन ज्योतिर्लिंग का प्राकट्य तथा शिव पार्वती जी का विवाह हुआ था। शिव-पार्वती जी का विवाह होने के कारण ही महाशिवरात्रि को कई स्थानों पर रात्रि में शिव बारात भी निकाली जाती है। एक मान्यता यह भी है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं, विवाह जल्द होता है।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को आदिदेव भगवान शिव, करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसलिये हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महापर्व के रूप में मनाया जाता है।

शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर

हिन्दू कैलेंडर के प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि कहा जाता है, यह मास शिवरात्रि के नाम से प्रचलित है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही आधी रात को भगवान शिव निराकार ब्रह्म से साकार स्वरूप यानी रूद्र रूप में अवतरित हुए थे, इसलिए इस तिथि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। आज के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर दर्शन कर मन्दिर / घर में शिव अभिषेक पूजन करना चाहिये।

पण्डित मनोज शुक्ला महामाया मन्दिर रायपुर