रायगढ़. आज के समय कई ऐसे बाबा साधु संत सामने आ रहे हैं जो चर्चा के साथ साथ विवादों में भी बने हुए हैं। आज हम आपको छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के ऐसे बाबा की कहानी बताने जा रहे हैं जो पिछले 25 सालों से तप कर रहे हैं। इतनी कठोर साधना में बाबा लीन हैं कि धूप बरसात ठंडी गर्मी का कोई असर उन्हें नही होता।
जिले के देवरी डूमरपाली नामक गांव में कृषक मध्यमवर्गी परिवार में 12 जुलाई 1984 को बाबा सत्यनारायण का जन्म हुआ।
एक दिन वे उसी गांव में स्थित शिव मंदिर में 7 दिनों तक लगातर तपस्या करते रहे। 16 फरवरी 1998 को हलधर घर से स्कूल के लिए निकले एवं अपने गांव से करीब 18 किलोमीटर दूर कोसमनारा नामक गांव में तप करने बैठ गए। इसी दिन से बाबा एक पत्थर को शिवलिंग मानकर अपनी जीभ को अर्पित कर शिव भक्ति के तपस्या में लीन हो गए।
उस दिन से लेकर आज तक बाबा उसी स्थान पर बैठकर तप में लीन हैं। पहले बाबा जमीन पर बैठ कर ही तप कर रहे थे, लेकिन बाद में गाँव वालों ने चबुतरा बना दिया। पहले बाबा की तपस्या को लोग स्वीकारा नही करते थे। उन्हें साधना से हटाने का भी प्रयास प्रशासन के साथ ही कई लोगों ने किया। पंरतु बाबा की तपस्या को देखकर श्रद्घालुओं भीड़ लगातार बढ़ती गई एवं बाबा की 24 घंटे देखरेख होने लगी। वर्तमान में बाबा की ख्याति चारों ओर फैली हुई है।
ऐसी मान्यता हैं कि बाबा सत्यनारायण किसी से भी बात नहीं करते, जरूरत के मुताबिक ही वो भी इशारों से ही समझाते हैं। हर मौसम में धूप, बारिश, ठंडी में भी बाबा खुले आसमान के नीचे ही बैठे रहते हैं, यहां हर साल लाखों लोग बाबा के दर्शन के लिए आते है।