अध्यात्म डेस्क. विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का प्राकटय वसंत पंचमी को ही हुआ था इसिलिय इस तिथि को श्री वागीश्वरी जंयन्ती व श्री सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन अपने छोटे बच्चों को लेकर किसी भी देवी मन्दिर में जाकर माँ सरस्वती स्वरूपा भगवती जी की या अपने घर मे ही विधिवत पूजा करके विद्यारम्भ संस्कार करना चाहिये। वसंत पंचमी पर, वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की पूजा और प्रार्थना का बहुत महत्व है। विद्यारम्भ संस्कार सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक है। जो बच्चे के मानसिक , शैक्षणिक व आध्यात्मिक विकास के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
इस दिन भगवती लक्ष्मी जी का भी प्राकट्य माना जाता है। इसलिए इस तिथि को ‘श्री पंचमी’ भी कहा जाता है। श्री की कामना वाले को इस दिन भगवती लक्ष्मी जी की पूजा आराधना करना चाहिये।
इसी दिन कामदेव का भी प्राकट्य हुआ था। जिसे रति काम महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसलिये अपने सुखमय पारिवारिक दांपत्य जीवन के लिये परिवार सहित किसी भी देवस्थल में जाकर पूजा प्रार्थना करना चाहिये।
वसंत पंचमी का दिन सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। वसंत पंचमी को शुभ मानने के अनेक कारण हैं। यह त्योहार आमतौर पर माघ महीने में आता है। माघ मास का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है। इस महीने तीर्थ क्षेत्र में स्नान तथा कल्पवास करने का विशेष महत्व माना गया है। गुप्त नवरात्रि पर्व की पंचमी अर्थात 9 दिन की नवरात्रि पर्व का मध्य दिवस है। जो कि समस्त मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है।
इसी दिन भगवान आशुतोष शिव-पार्वती जी के विवाह की ‘लग्नपत्रिका’ लिखाई गई थी। इसलिये इस दिन भगवान शिव व माता जी को कुमकुम हल्दी तथा आम का बौर (मोर) चढ़ाया जाता है।कई स्थानों तथा ग्रामीण क्षेत्रो में आज ही के दिन *होली डाड़* गड़ाने की परम्परा है जहां पर होलिका दहन के लिये लकड़ी कंडा आदि इकट्ठा करना आरम्भ किया जाता है।
इसदिन अपने घर मे सुबह स्नान के जल में गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा,क्षिप्रा आदि देव व तीर्थ नदियों को आवाहन करके स्नान करना चाहिये। सूर्यदेव को अर्घ्य देकर, पितरों को जल तर्पण कर आज का दिन धर्म व शुभ कार्यो के लिये व्यतीत करना चाहिये।
पण्डित मनोज शुक्ला – महामाया मन्दिर के पंडित मनोज शुक्ला ने ये जानकारी दी।