मौसी के घर पहुंचे प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा

नौ दिनों तक मौसी के घर रहने के बाद वापस होंगे प्रभु

अम्बिकापुर

बुधवार को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा की मौसी के घर रवानगी धूमधाम से हुई। छह चक्के के रथ में भगवान को विधिवत विराजमान किया गया। उड़ीसा के कारीगरों द्वारा बनाये गये रथ को आकर्षक तरीके से सुसज्जित किया गया था। श्रद्धालुओं की अपार संख्या के बीच भक्ति-भाव से रथ को खींचते श्रद्धालु केदारपुर तिवारी बिल्डिंग मार्ग स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर से जोड़ापीपल मार्ग होते सबसे पहले चोपड़ापारा स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में पहुंचे। यहां सुबह से ही महिलायें भजन-कीर्तन करते हुये भगवान के रथ के पहुंचने के इंतजार में थी। सायं 4 बजे भगवान का रथ मंदिर के समीप पहुंचा और पूजा-अर्चना के लिये भक्तगण उमड़ पड़े। रथयात्रा में काफी संख्या में महिला-पुरुषों के साथ ही बच्चों की मौजूदगी देखने को मिली। जोड़ापीपल में भगवान जगन्नाथ, भ्राता बलभद्र और सुभद्रा का पूजन किये। उन्होंने रथ को अन्य भक्तों के बीच खींचकर चोपड़ापारा स्थित मंदिर तक पहुंचाया। यहां पूजा के बाद रथ नगर के विभिन्न मार्गों का भ्रमण करते हुये सीधे मौसी के घर देवीगंज मार्ग स्थित दुर्गाबाड़ी पहुंची।

संभाग मुख्यालय के केदारपुर तिवारी बिल्डिंग रोड में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में को सुबह से पूजन कार्यक्रम के लिये भक्त जुटना शुरू हो गये थे। रथ के साज-सज्जा की कमियों को दूर किया जा रहा था। सुबह 10 बजे तक मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार संख्या के बीच विभिन्न धार्मिक आयोजन संपन्न हुये। मंदिर में जमा होनेवाली भीड़ के साथ ढोल-नगाड़े की थाप से भक्तिमय वातावरण बना रहा। दोपहर लगभग 2.30 बजे भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथयात्रा मंदिर से निकली। नवनिर्मित विशाल रथ के निकलते ही भक्तों का उत्साह दूना हो गया। रथ में मंदिर के पुजारी बैकुण्ठनाथ पण्डा सहित अन्य सवार थे। रास्ते भर भगवान की जयकारा लगते रहने से भक्तिमय माहौल रहा। लोगों का ध्यान बरबस विशालकाय रथ की ओर जा रहा था। नगर के जिस मार्ग से शोभायात्रा गुजरी भगवान का दर्शन करने श्रद्धालु उमड़ पड़े। पुजारी बैकुण्ठनाथ पण्डा ने बताया कि प्रभु जगन्नाथ आज से नौ दिनों तक देवीगंज रोड स्थित दुर्गाबाड़ी में मौसी के यहां रहेंगे। नौ दिनों के बाद पुनरू इसी रथ से वापस केदारपुर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर पहुंचेंगे। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की निकली रथयात्रा में आगे-आगे नर्तकों की टोली बाजे-गाजे के साथ चल रही थी। रथ में सवार भगवान का दर्शन लाभ प्राप्त करने की लालसा लोगों के मन में अंत तक बनी रही। रथयात्रा के साथ भारी भीड़ को देखते हुये आगे पीछे पुलिस के जवान चल रहे थे। रास्ते भर भगवान का जयकारा लगाते भक्तों को देखा गया। नगर के तमाम लोग जिस मार्ग से रथ गुजरी, रस्सी पकड़कर कुछ दूर तक भगवान को पहुंचाने में पीछे नहीं रहे।