भोपाल. रीवा के सुंदरजा आम और मुरैना की गज़क को GI टैग मिला हैं। बीते कई सालों से टैग मिलने के प्रयास किए जा रहे थे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की हैं। वहीं, प्रधानमंत्री मोदी और पीयूष गोयल ने मध्य प्रदेश को शुभकामनाएँ दी। CM शिवराज ने भी रीवा-मुरैना के भाई बहनों को प्रदेशवासियों को बधाई दी। इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री और मंत्री गोयल का आभार माना।
बता दें कि, हाल ही में दिल्ली में प्रगति मैदान में लगी फ़ूड फ़ेस्टिवल में मुरैना के गजक को इटली, दुबई, ब्रिटेन से डेलीगेट्स ने काफ़ी पसंद किया था। आगामी समय में विदेशी स्तर पर गजक की ब्रांडिंग की जाएगी। बक्षेत्रीय विशेष उत्पाद की ख्याति को प्रमाणित करने और पहचान दिलाने के लिए (GI) जियोगेग्राफीकल इंडिकेटर टैग दिया जाता हैं।
गौरतलब हैं कि, सुंदरजा आम मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गोविंदगढ़ कस्बे में बहुतायत में होता हैं। फलों के राजा आम की यह एक विशेष प्रजाति हैं। सुंदरजा सिर्फ भारत के लोगों की ही पसंद नहीं हैं। बल्कि, विदेशी भी इसके दीवाने हैं। रीवा जिले के गोविंदगढ़ के बगीचों से निकलकर ये आम विदेशी जमीं पर अपनी महक बिखेर रहा हैं। इस आम की विशेष किस्म की सुगंध और मिठास का कोई तोड़ नहीं हैं। सुंदरजा की खासियत यह हैं कि, यह बिना रेशे वाला होता हैं, और इसमें पाई जाने वाली शर्करा का प्रकार कुछ ऐसा हैं कि इसे शुगर के मरीज भी खा सकते हैं।
विंध्य क्षेत्र की शान समझे जाने वाले सुंदरजा आम का उत्पादन पहले रीवा जिले के गोविंदगढ़ किले के बगीचों में होता था। लेकिन, कालांतर में गोविंदगढ़ इलाके के साथ ही रीवा शहर से लगे कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में भी बहुतायत मात्रा में इसकी खेती की जाती है। हालांकि, गोविंदगढ़ के बागों में होने वाला सुंदरजा आम हल्का सफेद रंग लिए होता हैं। जबकि, रीवा के कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में उत्पादित होने वाला सुंदरजा आम हल्का हरा होता हैं।
गोविंदगढ़ किले में होने वाला सुंदरजा आम रियासत काल में राजे-राजवाड़ों की पसंद था। लेकिन, आज दिल्ली, मुंबई, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित कई राज्यों से लोग इसे एडवांस आर्डर देकर मंगवाते हैं। इतना ही नहीं विदेशों में भी सुंदरजा आम को खूब पसंद किया जाता है, खासतौर से फ्रांस, इंग्लैंड अमेरिका, अरब देशों में सुंदरजा आम के तमाम लोग शौकीन हैं।
सुंदरजा आम की लोकप्रियता का अंदाजा आप इस बात से भी लगाया जा सकता हैं कि 1968 में इस आम के नाम पर डाक टिकट जारी किया गया था। वहीं, गजक की बात करें तो यह एक प्रकार की मिठाई हैं। अगर गजक के साथ मुरैना का नाम जुड़ जाए तो लोग इसे क्वालिटी और स्वाद के लिए सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। इसीलिए, मुरैना की गजक का स्वाद पूरे देश में प्रसिद्ध हैं। गजक बनाने का काम मुरैना का मुख्य उद्योग हैं। इस गजक की कई खासियत भी हैं। इस छोटे जिले में लगभग गजक की एक हजार से अधिक दुकानें हैं। अगर गुड़ और तिल से बनी मिठाइयों की बात आए तो गजक को श्रेष्ठ माना जाता हैं। ऐसे तो इस गजक का इस्तेमाल लोग पूरे साल करते हैं। लेकिन, सर्दियों में इसे खाना गुणकारी माना जाता हैं।
किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है, उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है। उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती हैं। तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती हैं। जिसे जीआई टैग यानी जियोग्राफिकल इंडीकेटर कहते हैं। हिंदी में इसे भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता हैं।
ऐसे मिलता हैं जीआई टैग
किसी भी क्षेत्र की विशेष वस्तु जो उस क्षेत्र के अलावा कहीं और नहीं पाई जाए। उसे विशेष पहचान दिलाने के लिए जीआई टैग दिया जाता हैं। जीआई टैग उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग द्वारा जारी किया जाता हैं। जो वाणिज्य मंत्रालय के तहत संचालित होता हैं। (एजेंसी, हि.स.)