यदि आपको भी रात में सोते समय अपना मोबाइल फोन तकिए के पास रखकर सोने की आदत है तो जरा संभल जाएं। क्योंकि रात में बार-बार उठकर फोन चेक करने या सोने से पहले देर तक फोन पर लगे रहने की आदत आपकी नींद बर्बाद कर रही है। लंदन के एवेलीना बाल अस्पताल के प्रोफेसर पॉल ग्रिंग्रास का कहना है कि स्मार्टफोन, टैबलेट से निलकने वाली नीली रोशनी मोबाइल फोन यूजर्स की नींद के लिए घातक है।
ग्रिंग्रास का कहना है कि जैसे जैसे ये मोबाइल फोन और टैबलेट का साइज बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे ये गैजेट्स और अधिक नुकसानदेह बनते जा रहे हैं। डेलीमेल के मुताबिक रात को जब अंधेरा होने लगता है तो हमारा शरीर मेलाटोनिन नाम का तत्व शरीर में छोडऩे लगता है। यह तत्व शरीर को नींद के लिए तैयार करता है।
लेकिन मोबाइल फोन और टैबलेट की डिस्पले स्क्रीन से निकलने वाली नीली-हरी रोशनी इस तत्व को नहीं बनने देती। इस वजह से शरीर में बहुत ही कम मात्रा में मेलाटोनिन बनता है जिससें आसानी से नींद भी नहीं आती। वहीं, फ्रंटीयर्स इन पब्लिक हेल्थ मैगजीन में प्रकाशित एक शोध में डॉक्टर ने लिखा है कि ये गैजेट बनाने वालों को कोशिश करनी चाहिए कि नीली-हरी रोशनी के बजाए उनकी डिस्पले स्क्रीन से पीली-लाल रोशनी निकले।
डॉक्टर का कहना है कि अगर सोने से पहले मोबाइल फोन अथवा टैबलेट का इस्तेमाल न किया जाए तो लगभग एक घंटे की नींद और ली जा सकती है। उनका कहना है कि हमारी जैविक घड़ी धरती की 24 घंटे की घड़ी के साथ तालमेल बिठा कर काम करती है।�
वैज्ञानिकों का मानना है कि दिमाग में एक मास्टर घड़ी होती है जिस पर वातावरण के कई कारणों से भी असर पड़ता है। नींद पूरी न होने से सेहत को काफी नुकसान पहुंचता है। अच्छी नींद लेने के लिए जरूरी है कि सोने से कम से कम एक घंटा पहले मोबाइल फोन, टैबलेट, लैपटॉप जैसी चीजों का इस्तेमाल करना बंद कर दें।