
पिथोड़े ने कहा, “स्वच्छता सभी के लिए जरूरी है, इसलिए जिला प्रशासन खुले में शौच की बुराई पर लगाम लगाने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए जनजागृति अभियान भी चलाया जा रहा है। बंदूक की चाहत रखने वालों के तो घर शौचालय होना ही चाहिए, यह तय किया गया है।”
ज्ञात हो कि राज्य में गांवों को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे हैं। कई मामले ऐसे सामने आते हैं, जहां आर्थिक तौर पर संपन्न परिवारों के घरों में भी शौचालय नहीं है। बीते दिनों सीहोर जिले में तो एक ऐसा मामला सामने आया, जहां एक किसान अपनी बहू को लेने हेलीकॉप्टर से जा रहा था, मगर उसके भी घर में शौचालय नहीं था। बाद में प्रशासन की पहल पर उस किसान ने अपने घर में शौचालय बनाया, तब कहीं जाकर वह बहू को हेलीकॉप्टर से ला पाया था।