क्या आपने कभी सुना है कि एक महिला गर्भावस्था (Pregnancy) के दौरान फिर से गर्भवती हो गई हो? इंग्लैंड के एक शहर से ऐसी ही घटना सामने आई है जहां एक महिला ने चार हफ्तों के अंतर वाले जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। दरअसल यह महिला गर्भवती होने के कुछ ही हफ्तों बाद दोबारा गर्भवती हो गई। इसने चार हफ्तों के अंतराल पर दो बार गर्भधारण किया और अब जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। ‘द सन’ की रिपोर्ट के अनुसार, एक असामान्य और दुर्लभ मामले में एक महिला ने जुड़वां बहनों को जन्म दिया जिनके बीच चार हफ्तों का अंतर है।
गर्भ में पल रहे थे अलग-अलग आकार के जुड़वां बच्चे
स्कैनिंग से पता चला कि दोनों बच्चे डार्सी और होली गर्भ में अलग-अलग आकार के थे। इंग्लैंड के लेमिनस्टर की रहने वाली तीस वर्षीय सोफी स्मॉल को सुपरफीटेशन नामक एक घटना के बारे में बताया गया। जिसमें एक गर्भावस्था के बाद दोबारा नई गर्भावस्था हो जाती है। सोफी ने कहा, “मुझे पता चल गया था कि मैं गर्भवती हूं। क्योंकि मुझे सिर दर्द हो रहा था। लेकिन मुझे यकीन नहीं था कि मैं गर्भवती हूं इसलिए हमने कोशिश जारी रखी”।
क्या होता हैं सुपरफीटेशन
मेडिकल लिटरेचर में सुपरफीटेशन की घटना के कुछ मामलों का जिक्र किया गया है। लेकिन ये मामले ज्यादातर उन महिलाओं से जुड़े हैं जो विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेती हैं। गर्भावस्था के दौरान ही जब कोई महिला दूसरी बार प्रेग्नेंट होती है तो इस अवस्था को सुपरफिटेशन कहते हैं। आपकी पहली प्रेग्नेंसी शुरू होने के कुछ दिन बाद या फिर करीब 1 माह के बाद जब आपका एग्स स्पर्म के संपर्क में जाता है तो वह फर्टिलाइज हो जाता है। इसकी वजह से दूसरी नई प्रेग्नेंसी की शुरुआत हो जाती है। अक्सर जुड़वां बच्चे सुपरफिटेशन से पैदा हुए होते हैं। ये अक्सर एक साथ या फिर एक ही दिन में पैदा होते हैं। सुपरफिटेशन में गर्भवती महिला का एग फर्टिलाइज होकर दोबारा गर्भ में अलग से प्रत्यारोपित हो जाता है।
ऐसे मामलों को कुछ हद तक असाधारण या दुर्लभ माना जाता है। क्योंकि इसके लिए तीन असंभावित घटनाओं का एक साथ होनी जरूरी है। पहली- ओवरी (Ovary) को दूसरा अंडा या ओवम (Ovum) छोड़ना होगा, जो आमतौर पर नहीं होता। दूसरी उस अंडे को शुक्राणु कोशिका (Sperm Cell) निषेचित करे। यह भी असंभव है। क्योंकि प्रारंभिक गर्भावस्था में, सर्विकल कैनाल में म्यूकस बनता है जिससे एक प्लग बनता है। जो स्पर्म का मार्ग रोकता है और तीसरी- निषेचित अंडे को गर्भाशय (Uterus) में इंप्लांट करना, जबकि एक भ्रूण पहले से ही इंप्लांट हो। अगर ये सभी असंभव घटनाएं होती हैं। तो एक ही समय में दो गर्भधारण हो सकते है। लेकिन इन गर्भ में इन भ्रूणों की गर्भकालीन आयु (Gestational age) अलग-अलग होगी। इसका मतलब यह हुआ कि दोनों बच्चों का विकास अलग-अलग चरणों में होगा। ये जुड़वां बच्चे, सामान्य जुड़वां बच्चों से एकदम अलग होते हैं जो दो निषेचित अंडों से विकसित होते हैं और इनका विकास एक समान होता है।
सोफी कहती हैं, ”जब मैं डार्सी को जन्म दे रही थी तब मुझे काफी दिक्कतें हुईं। मुझे सात सप्ताह में आठ बार अस्पताल में भर्ती कराया गया और 120 घंटे तक ड्रिप लगी रही। सोफी ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके गर्भ में दो बच्चे हैं जो अलग-अलग आकार के हैं। उन्होंने आगे कहा, ” डॉक्टरों के लिए भी यह समझना मुश्किल था कि मैं इतनी बीमार क्यों हूं। मेरा सातवें सप्ताह में स्कैन हुआ था और उन्होंने कहा कि यह थोड़ा अलग है। मुझे जुड़वां बच्चे होने वाले थे। लेकिन एक दूसरे से बड़ा था। कुछ सही नहीं था।
उन्होंने कहा, ”उन्होंने देखा कि दोनों बच्चों के अलग-अलग प्लेसेंटा थे ताकि वे जब चाहें फीड कर सकें। लेकिन वे यह पता नहीं लगा सके कि एक जुड़वां दूसरे से बड़ा क्यों था। उनकी बच्चियों के जन्म के समय उनकी ग्रोथ में 35 प्रतिशत का अंतर था और वो चार हफ्तों के अंतराल में गर्भ में विकसित हुई थीं। सोफी ने यह भी कहा कि, लोग जब उनकी असामान्य गर्भावस्था के बारे में सुनते हैं तो उन्हें यह अजीब लगता हैं।