राधा जी से संबंधित प्रमुख स्थल ‘बरसाना’ की जानकारी-
बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जन्म हुआ था। दिल्ली से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मथुरा जिले में बरसाना की होली पूरे विश्व भर में लोकप्रिय है। बरसाने में होली का उत्सव 45 दिनों तक मनाया जाता है जिसे देखने के लिए पर्यटक भारी संख्या में यहां आते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है।
राधा रानी का विशाल मंदिर
बरसाना में राधा रानी का विशाल मंदिर है, जिसे लाड़ली महल के नाम से भी जाना जाता है। यहां सुबह-शाम भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में स्थापित राधा रानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत में से संवत् 1626 की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाला था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। यहां राधाष्टमी के अवसर पर भाद्र पद शुक्ल एकादशी से चार दिवसीय मेला जुड़ता है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ओरछा नरेश ने कराया था। यहां की अधिकांश पुरानी इमारतें 300 वर्ष पुरानी हैं। जहां पर यह मंदिर स्थित है वहां से पूरा बरसाना गांव दिखता है।
प्राचीन व पौराणिक स्थल
बरसाना के चारों ओर अनेक प्राचीन व पौराणिक स्थल हैं। यहां स्थित जिन चार पहाड़ों पर राधा रानी का भानुगढ़, दान गढ़, विलासगढ़ व मानगढ़ हैं, वे ब्रह्मा के चार मुख माने गए हैं। इसी तरह यहां के चारों ओर सुनहरा की जो पहाड़ियां हैं उनके आगे पर्वत शिखर राधा रानी की अष्टसखी रंग देवी, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंग विद्या व इंदुलेखा के निवास स्थान हैं। यहां स्थित मोर कुटी, गहवखन व सांकरी खोर आदि भी अत्यंत प्रसिद्ध हैं। सांकरी खोर दो पहाड़ियों के बीच एक संकरा मार्ग है। कहा जाता है कि बरसाने की गोपियां जब इसमें से गुजर कर दूध-दही बेचने जाती थीं तो कृष्ण व उनके ग्वाला-बाल सखा छिपकर उनकी मटकी फोड़ देते थे और दूध-दही लूट लेते थे।
पास में जयपुर मंदिर
बरसाना में राधा रानी के मंदिर से महज कुछ ही दूरी पर जयपुर-नरेश का बनाया हुआ विशाल मंदिर भी है जो पहाड़ी के दूसरे शिखर पर बना है। इस मंदिर को देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी राजा का भव्य राजमहल है।
जन्माष्टमी का पर्व कुछ ही दिनों में मनाया जाने वाला है। ऐसे में कृष्णभक्तों के लिए कृष्ण और राधा से संबंधित तीर्थ स्थलों की व्यापक जानकारी प्रदान करने के क्त्रम में प्रस्तुत है राधा जी से संबंधित प्रमुख स्थल ‘बरसाना’ की जानकारी:
बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जन्म हुआ था। दिल्ली से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मथुरा जिले में बरसाना की होली पूरे विश्व भर में लोकप्रिय है। बरसाने में होली का उत्सव 45 दिनों तक मनाया जाता है जिसे देखने के लिए पर्यटक भारी संख्या में यहां आते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है।
राधा रानी का विशाल मंदिर
बरसाना में राधा रानी का विशाल मंदिर है, जिसे लाड़ली महल के नाम से भी जाना जाता है। यहां सुबह-शाम भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में स्थापित राधा रानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत में से संवत् 1626 की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाला था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। यहां राधाष्टमी के अवसर पर भाद्र पद शुक्ल एकादशी से चार दिवसीय मेला जुड़ता है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ओरछा नरेश ने कराया था। यहां की अधिकांश पुरानी इमारतें 300 वर्ष पुरानी हैं। जहां पर यह मंदिर स्थित है वहां से पूरा बरसाना गांव दिखता है।
प्राचीन व पौराणिक स्थल
बरसाना के चारों ओर अनेक प्राचीन व पौराणिक स्थल हैं। यहां स्थित जिन चार पहाड़ों पर राधा रानी का भानुगढ़, दान गढ़, विलासगढ़ व मानगढ़ हैं, वे ब्रह्मा के चार मुख माने गए हैं। इसी तरह यहां के चारों ओर सुनहरा की जो पहाड़ियां हैं उनके आगे पर्वत शिखर राधा रानी की अष्टसखी रंग देवी, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंग विद्या व इंदुलेखा के निवास स्थान हैं। यहां स्थित मोर कुटी, गहवखन व सांकरी खोर आदि भी अत्यंत प्रसिद्ध हैं। सांकरी खोर दो पहाड़ियों के बीच एक संकरा मार्ग है। कहा जाता है कि बरसाने की गोपियां जब इसमें से गुजर कर दूध-दही बेचने जाती थीं तो कृष्ण व उनके ग्वाला-बाल सखा छिपकर उनकी मटकी फोड़ देते थेऔर दूध-दही लूट लेते थे।
पास में जयपुर मंदिर
बरसाना में राधा रानी के मंदिर से महज कुछ ही दूरी पर जयपुर-नरेश का बनाया हुआ विशाल मंदिर भी है जो पहाड़ी के दूसरे शिखर पर बना है। इस मंदिर को देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी राजा का भव्य राजमहल है।
बरसाना की होली
जब बात होली पर्व की होती है तो बरसाना की होली लोगों के लिए काफी आकर्षण का केंद्र रहती है। इसका आकर्षण न केवल मथुरा में बल्कि देश के विभिन्न भागों में यहां तक कि सात समंदर पार भी देखने को मिलता है। बरसाना गांव में होली अलग तरह से खेली जाती है जिसे लठमार होली कहते हैं। इस होली में पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएं उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं।
कैसे पहुंचें
बरसाना दिल्ली-आगरा राजमार्ग पर स्थित कोसीकलां से 7 किमी और मथुरा से 50 किमी जबकि गोवर्धन 23 किमी की दूरी पर स्थित है। आप बस, कार या टैक्सी के जरिए यहां पहुंच सकते हैं। बरसाना के लिए दिल्ली, आगरा और मथुरा से नियमित रूप से बसें चलाई जाती हैं। अगर आप ट्रेन के जरिए बरसाना पहुंचाना चाह रहे हैं तो यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन कोसीकलां है। बरसाना में रहने के लिए काफी संख्या में धर्मशालाए मौजूद हैं।